Edited By Prachi Sharma,Updated: 03 Jul, 2025 02:00 PM

Bhagwan Shiv Katha: भगवान महादेव कोवाधिदेव के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव जी से जुड़ी हर चीज़ के पीछे एक गहरा अर्थ और कहानी होती है। जैसे कि उनके गले में लिपटा हुआ सांप या उनकी जटाओं से प्रवाहित होती गंगा, ये सभी घटनाएं पौराणिक कथाओं से जुड़ी...
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Bhagwan Shiv Katha: भगवान महादेव कोवाधिदेव के नाम से भी जाना जाता है। भगवान शिव जी से जुड़ी हर चीज़ के पीछे एक गहरा अर्थ और कहानी होती है। जैसे कि उनके गले में लिपटा हुआ सांप या उनकी जटाओं से प्रवाहित होती गंगा, ये सभी घटनाएं पौराणिक कथाओं से जुड़ी हैं। भगवान शिव के तीन हैं इस वजह से उन्हें त्रिनेत्रधारी कहा जाता है। चलिए, जानते हैं कि कैसे भगवान महादेव ने ये तीन नेत्र धारण किए।
कैसे प्रकट हुई भगवान शिव की तीसरी आंख
एक बार भगवान शिव हिमालय पर देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों और विद्वानों के साथ एक सभा कर रहे थे। तभी माता पार्वती वहां आईं और थोड़ी शरारत करते हुए उनके दोनों नेत्रों को अपनी हथेलियों से ढक दिया। जैसे ही उनकी दोनों आंखें बंद हुईं, पूरी पृथ्वी अंधकार से घिर गई और वहां के सभी जीव-जन्तु भयभीत हो उठे।
यह देखकर भगवान शिव ने अपने माथे पर तीसरी आंख से तेजस्वी प्रकाश निकाला, जिसने पूरी सृष्टि को फिर से रोशनी से भर दिया। माता पार्वती ने पूछा कि ऐसा क्यों किया ?
भगवान शिव ने समझाया कि उनकी आंखें संसार की देखभाल करती हैं और अगर वे बंद हो जाएं तो दुनिया विनाश के कगार पर आ जाती है। इसलिए, अपनी तीसरी आंख से वे हमेशा सृष्टि की सुरक्षा करते हैं।

इस वजह से खुलती है तीसरी आंख
कई पुराणों में यह बताया गया है कि भगवान शिव की तीसरी आंख तब ही खुलती है जब उनका क्रोध अत्यंत तीव्र होता है। हिंदू धर्मग्रंथों में लिखा है कि यदि शिव की यह तीसरी आंख खुल जाए, तो उससे इतनी शक्ति निकलती है कि पूरी दुनिया का विनाश हो सकता है। इसे प्रलय का रूप माना जाता है, जो सृष्टि को समाप्त कर देने की ताकत रखता है।
