Bihar Panchami: आज मनाया जाएगा वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी का जन्मोत्सव बिहार पंचमी

Edited By Updated: 25 Nov, 2025 09:43 AM

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Bihar Panchami 2025: वृंदावन में आज से श्री बांके बिहारी जी का जन्मोत्सव यानी बिहार पंचमी Bihar Panchami महोत्सव आरंभ हो गया है, जिसे भक्त बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाते हैं। यह त्योहार मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है।

Bihar Panchami 2025: वृंदावन में आज से श्री बांके बिहारी जी का जन्मोत्सव यानी बिहार पंचमी Bihar Panchami महोत्सव आरंभ हो गया है, जिसे भक्त बड़ी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाते हैं। यह त्योहार मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है।

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बिहार पंचमी इतिहास और पौराणिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विक्रम संवत 1562 के इस दिन वृंदावन के निधिवन में स्वामी हरिदास जी की गहन भक्ति से बांके बिहारी (राधा-कृष्ण का संयुक्त रूप) का प्राकट्य हुआ था। यह प्राकट्य तिथि भक्तों के लिए अति पवित्र मानी जाती है और उसी को आज का जन्मोत्सव रूप दिया गया है।

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बिहार पंचमी उत्सव की परंपरा और आयोजन
इस दिन को ‘बिहार पंचमी’ महोत्सव के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह बांके बिहारी जी का प्राकट्य दिवस है। भक्त सुबह-सुबह मंदिर में एक विशेष रथ यात्रा करते हैं। निधिवन से सुंदर चांदी के रथ में बांके बिहारी को मंदिर तक लाया जाता है। इस दिन पूरा वृंदावन ब्रज प्रेम और भक्ति के रस में डूब जाता है, गली-गली में भजन-कीर्तन, आरती और भोग की तैयारियां होती हैं।

बिहार पंचमी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
बांके बिहारी राधा कृष्ण की अनन्य लीलाओं का प्रतीक हैं और उनका यह रूप भक्तों के प्रेम और लगाव का केंद्र है।

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बिहार पंचमी पर समाज और संस्कृति में प्रभाव
यह त्योहार न सिर्फ धार्मिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है, बल्कि वृंदावन की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत करता है।
विभिन्न संप्रदायों के भक्त, स्थानीय वासियों और तीर्थयात्रियों की भागीदारी इस महोत्सव को लोक-उत्सव का स्वरूप देती है। मंदिर प्रबंधन और प्रशासन इस समय श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखते हैं, ताकि आयोजन शांति और सुरक्षा पूर्ण हो।

बांके बिहारी का जन्मोत्सव यानी बिहार पंचमी न सिर्फ ब्रज भूमि की भक्ति-परंपरा की अभिव्यक्ति है, बल्कि यह भगवान कृष्ण की आत्मीयता और भक्तों के प्रेम का अद्भुत संगम है। वृंदावन की पवित्र गलियों में यह त्योहार प्रेम, संगीत, ध्यान और आध्यात्म का सुंदर पर्व बनकर फूटा है, जिसे श्रद्धालु बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा से मनाते हैं।

-राजू गोस्वामी

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