PIX:51 शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर, यहां मुसीबत आने पर प्रतिमा से बहते हैं आंसू

Edited By ,Updated: 06 Jan, 2017 09:37 AM

bjreshwari devi mandir

देवभूमि हिमाचल में देवी-देवताअों के बहुत सारे मंदिर हैं। 51 शक्तिपीठों में से एक बज्रेश्वरी देवी माता मंदिर कांगड़ा में स्थित है। यहां मंदिर में देवी के साथ भगवान भैरव

देवभूमि हिमाचल में देवी-देवताअों के बहुत सारे मंदिर हैं। 51 शक्तिपीठों में से एक बज्रेश्वरी देवी माता मंदिर कांगड़ा में स्थित है। यहां मंदिर में देवी के साथ भगवान भैरव की भी प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि जब भी इस स्थान पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो भगवान भैरव की प्रतिमा से आंसू अौर पसीना आने लगता है। 

 

यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर माता सती का दाहिना वक्ष गिरा था। यहां तीन धर्मों के प्रतीक के रूप में मां की तीन पिंडियों की पूजा होती है। मंदिर के गर्भगृह में मां बज्रेश्वरी की पिंडी स्थापित है। गर्भगृह में प्रतिष्ठित पहली और मुख्य पिंडी मां बज्रेश्वरी की है। दूसरी मां भद्रकाली और तीसरी और सबसे छोटी पिंडी मां एकादशी की है।

 

मंदिर परिसर में भगवान लाल भैरव का मंदिर भी है। मंदिर में विराजित लाल भैरव की प्रतिमा लगभग पांच हजार वर्ष पुरानी बताई गई है। कहा जाता है कि जब भी कांगड़ा पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो इस प्रतिमा की आंखों से आंसू अौर शरीर से पसीना आने लगता है। उसके बाद पुजारी विशाल हवन का आयोजन करते हैं अौर मां से इस विपदा को टालने के लिए प्रार्थना करते हैँ। मां के आशीर्वाद से आने वाली आपदा टल जाती है। कहा जाता है कि यहां ऐसा कई बार हो चुका है।  

 

स्थानीय लोगों का कहना है कि भैरव बाबा की प्रतिमा बहुत प्राचीन है। वर्ष 1976-77 में इस मूर्ति में आंसू व शरीर से पसीना निकला था। उस समय कांगड़ा में भीषण अग्निकांड हुआ था। उस समय काफी दुकानें जलकर राख हो गई थी। उस घटना के बाद आपदा को टालने के लिए यहां हर वर्ष नवंबर व दिसंबर के मध्य में भैरव जयंती मनाई जाती है। यहां पाठ अौर हवन किया जाता है। 

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