महादेव के इस मंदिर में सोमवार नहीं बुधवार को है विशेष पूजा का विधान

Edited By Lata,Updated: 13 Jan, 2019 05:30 PM

buddheshwar mahadev temple

भारत देश में भगवान शिव के हज़ारों मंदिर है, हर मंदिर का अपना ही इतिहास है। आप सभी भी भोलेनाथ के मंदिरो में गए होंगे और आपने ये भी देखा होगा कि महादेव के हर मंदिर में सोमवार के दिन लोगों की भीड़ जमा रहती है।

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भारत देश में भगवान शिव के हज़ारों मंदिर है, हर मंदिर का अपना ही इतिहास है। आप सभी भी भोलेनाथ के मंदिरो में गए होंगे और आपने ये भी देखा होगा कि महादेव के हर मंदिर में सोमवार के दिन लोगों की भीड़ जमा रहती है। माना जाता है कि सोमवार के दिन जो भी भक्त सच्चे दिल से शिव की पूजा या फिर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं, भगवान शंकर उस पर बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन आज हम आपको भोलेनाथ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सोमवार नहीं बल्कि बुधवार को भगवान की पूजा का विशेष विधान है। तो चलिए जानते हैं उस मंदिर के बारे में-
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भारत देश के पुराना लखनऊ में बहुत से शिव मंदिर है, जिनमें से एक हैं बुद्धेश्वर महादेव मंदिर। इस मंदिर की खास बात यह है कि जहां भोलेनाथ के मंदिरों में सोमवार के दिन भक्तों की भीड़ जमा होती है वहीं इस मंदिर में शिवजी की पूजा का दिन बुधवार होता है। आज हम आपको बताएगें महादेव के इस पवित्र धाम में सोमवार को छोड़ बुधवार के दिन ही उनकी पूजा क्यों की जाती है और इसका बुद्धेश्वर महादेव नाम कैसे पड़ा।  
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पुराने लखनऊ में स्थित बुद्धेश्वर नामक शिव मंदिर जिसका इतिहास बेहद दिलचस्प है। भगवान राम के काल का मंदिर लखनऊ में मोहान रोड पर स्थित है।कहा जाता है कि यह मंदिर त्रेतायुग में निर्मित है अर्थात भगवान राम के काल में इस मंदिर की स्थापना की गई थी। मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने की थी।
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जब भगवान राम के आदेश पर लक्ष्मण माता सीता को लेकर वन में छोड़ने जा रहे थे। तो उनके मन में माता सीता की सुरक्षा को लेकर चिंता उठने लगी। ऐसे में उन्होंने इस स्थान पर भगवान शिव का ध्यान किया। भगवान शिव उन पर प्रसन्न हुए और प्रकट होकर उनका संदेह दूर करते हुए उन्हें माता सीता के विराट स्वरूप का दर्शन कराया। जिस दिन यह घटना घटी उस दिन बुधवार था। इसीलिए यहां स्थापित शिवलिंग को बुद्धेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा।
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मंदिर के पास ही कुछ दूरी पर एक कुंड स्थित है। इस कुंड को सीता कुंड के नाम से भी जाना जाता है। लोक मान्यता के अनुसार लक्ष्मण जी जब भगवान शिव की साधना करने बैठे तब माता सीता ने इस कुंड में हाथ-पैर धोकर कुछ समय इसी के किनारे पर बिताया था। तभी से इस यह कुंड को सीता कुंड के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 
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इस मंदिर में पूजा करने वाले भक्त शिव दर्शन के बाद कुंड का भी पूजन करते हैं। इस तरह यह कुंड मंदिर से जुड़ी इस पौराणिक घटना को सही साबित करता है। बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार को शिवजी की पूजा का विधान है। बुधवार के दिन यहां बहुत से भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। 
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