Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Aug, 2023 10:17 AM
आचार्य चाणक्य को ज्ञान का भंडार कहा जाता है क्योंकि उन्हें सम्पूर्ण वेदों और पुराणों का ज्ञान प्राप्त था। कुछ लोगों के अनुसार अत्यंत कुशाग्र बुद्धि होने के कारण इनका नाम चाणक्य
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को ज्ञान का भंडार कहा जाता है क्योंकि उन्हें सम्पूर्ण वेदों और पुराणों का ज्ञान प्राप्त था। कुछ लोगों के अनुसार अत्यंत कुशाग्र बुद्धि होने के कारण इनका नाम चाणक्य पड़ा। इनके द्वारा बताई गई नीतियां भविष्य को उज्ज्वल बनाने में बेहद कारगार हैं। चाणक्य के अनुसार हर व्यक्ति का जन्म किसी न किसी उद्देश्य के लिए हुआ है। चाणक्य नीति में श्लोक के माध्यम से बताया गया है कि कभी भी किसी गलत कार्य के साक्षी न बनें अन्यथा परेशानी उठानी पड़ सकती है। इसके अलावा यह भी बताया गया है, जो लोग गलत लोगों को साथ देते हैं, उन्हें हमेशा परेशानी का मुख देखना पड़ता है।
गलत कार्य के ‘साक्षी’ न बनें
न स्यात कूटसाक्षी।
भावार्थ : किसी भी दुष्कर्म अथवा कपट में मनुष्य को कभी साक्षी नहीं बनना चाहिए अन्यथा हानि उठानी पड़ती है। ऐसे समय पर मौन रहना ही सबसे उत्तम माना जाता है। अगर कोई व्यक्ति धन के लालच में किसी गलत व्यक्ति का साथ देता है वो कभी भी खुश नहीं रहता। इसके अलावा अगर आप गलत कार्य के साक्षी बनते हैं तो आपको भी उतना ही पाप लगता है।
‘झूठी गवाही’ देने वाला नरक में जाता है
कूटसाक्षिणो नरके पतन्ति।
भावार्थ : चाणक्य नीति के अनुसार जो लोग झूठी गवाही देकर अपराधी को बचाने का कार्य करते हैं वे सीधे नरक में जाते हैं। बचाने वाला भी अपराधी जितना ही दोषी माना जाता है। जो लोग अपराधी का साथ देते हैं भगवान भी उनसे अपना मुंह मोड़ लेते हैं। झूठी गवाही देने वाले हमेशा नरक में जाते हैं, स्वर्ग में ऐसे दुष्ट व्यक्तियों के लिए कोई जगह नहीं होती।