Edited By Jyoti,Updated: 04 Aug, 2021 12:54 PM
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति श्लोक में मानव जीवन से जुड़़ी कई खास बातों के बारे में बताया है। जिनके संदर्भ में कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में इनकी बातों पर अमल कर लेता है, वह अपने जीवन
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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति श्लोक में मानव जीवन से जुड़़ी कई खास बातों के बारे में बताया है। जिनके संदर्भ में कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में इनकी बातों पर अमल कर लेता है, वह अपने जीवन में आने वाली मुसीबतों का सामना का डटकर कर पाने में सक्षम होता है। साथ ही साथ सफलता की बुलंदियों को छूता हैै तथा अपने जीवन के पारिवारिक संबंधों को भी संभल पाता है। तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य द्वारा बताए गए ऐसे ही दो श्लोकों के बारे में जिसमें मानव जीवन से जुड़े दो अलग-अलग सूत्र छिपे हैं।
चाणक्य नीति श्लोक-
नास्ति गतिश्रमो यानवताम।
अर्थ : वाहनों पर यात्रा करने वाले पैदल चलने का कष्ट नहीं करते।
भाव : जो व्यक्ति सदैव वाहनों पर यात्राएं करते हैं, उन्हें अपने ऐश्वर्य के मद में पैदल चलने वालों के कष्ट का अनुभव नहीं होता अर्थात सदैव ऐश्वर्य में रहने वाले निर्धनों के कष्ट को नहीं समझ पाते।
चाणक्य नीति श्लोक-
नास्ति धनवतां सुकर्मसु श्रम:।
भाव : धनिक को शुभ कर्म करने में अधिक श्रम नहीं करना पड़ता।
अर्थ- धनवान व्यक्ति यदि चाहे तो धर्म-कर्म और लोकहित के कार्यों को स पन्न कराने में उसे कुछ भी श्रम न करना पड़े। वह अपने धन के बल पर ये कार्य आसानी से कर सकता है, परंतु देखा यह जाता है कि ऐसे धनिक व्यक्ति शुभ कर्मों की ओर प्रवृत्त न होकर भोग-विलास में अपने धन का अपव्यय करते हैं। (क्रमश:)