Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 Dec, 2023 09:11 AM
परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपने इकलौते पुत्र को भेजा, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परंतु
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Christmas 2023: परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम किया कि उसने अपने इकलौते पुत्र को भेजा, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परंतु अनंत जीवन पाए। (यूहन्ना 3:16)
परमेश्वर द्वारा सृष्टि की रचना के बाद उसके संरक्षण के लिए आदम को परमेश्वर ने अपने हाथों से मिट्टी तथा अपनी सांसों से बनाया गया था और उसकी साथी हव्वा को आदम की पसली से बनाया गया था। आदम और हव्वा को शैतान ने गुमराह किया और ईश्वर की आज्ञाओं का उल्लंघन करवाकर पाप करवा दिया जिससे पूरी दुनिया में आदम और हव्वा द्वारा किया पाप फैल गया।
तो परमेश्वर ने दुनिया को पाप के दलदल से निकालने के लिए एलिया, हनूक जैसे कई नबियों को धरती पर भेजा लेकिन किसी ने उनकी एक भी नहीं सुनी और अंत में इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह को, जो आदि से थे तथा परमेश्वर के संग थे, को आज से 2023 साल पहले इसराईल में येरुशलम के बेथलहम में कुंवारी मरियम के पवित्र गर्भ से पवित्र आत्मा द्वारा संसार में भेजा। प्रभु यीशू मसीह के संबंध में यूहन्ना नबी ने पवित्र बाईबल में लिखा है कि ‘आदि में शब्द था और शब्द परमेश्वर के साथ था और शब्द ही परमेश्वर था।’ (यूहन्ना 1:1)
‘शब्द देहधारी हुआ’
जब यीशू मसीह का जन्म हुआ तो यूहन्ना ने कहा कि ‘शब्द देहधारी हुआ’ जोकि यहून्ना नबी द्वारा आदि में वर्णित ‘शब्द’ था। प्रभु यीशू मसीह के जन्म के समय वर्णित ‘शब्द’ का अर्थ है कि यीशू मसीह ही वह ‘शब्द’ था जो आदि में परमेश्वर के साथ था। प्रभु यीशू मसीह के जन्म के बारे में उनके जन्म से 700 वर्ष पहले नबियों ने भविष्यवाणियां की थीं, जो बिल्कुल वैसे ही पूरी हुईं, जैसे पवित्र बाईबल में दर्ज हैं। प्रभु यीशू मसीह को मनुष्य का पुत्र, परमेश्वर का पुत्र भी कहा जाता है। ऐसा पवित्र बाईबल की अनेक पुस्तकों में नबियों द्वारा कहा गया है।
प्रभु यीशू मसीह पृथ्वी पर किसी धर्म की स्थापना करने के लिए नहीं, बल्कि मनुष्यों के पापी दिलों को बदलने के लिए आए थे जबकि पाप के कारण मनुष्य और परमेश्वर के बीच का जो रिश्ता टूट गया था, उसे पुन: जोड़ने आए थे। इस कार्य को पूरा करने के लिए प्रभु यीशू मसीह ने भूखे को रोटी, नंगे को कपड़े, बेघर को घर, बीमारों की तीमारदारी जैसे एजैंडे से लोगों को अवगत करवाकर विश्व में आपसी भाईचारे, प्रेम और शांति का संदेश दिया।
30 वर्ष माता-पिता की सेवा
प्रभु यीशू मसीह ने अपने साढ़े 33 वर्ष के जीवनकाल में 30 वर्ष तक अपने माता-पिता के साथ रह कर उनकी सेवा की और उसके बाद अपने सेवाकाल के दौरान साढ़े तीन साल तक उन्होंने अपनी आध्यात्मिक शक्ति से कई अद्भुत कार्य किए।
40 दिन एकांत में की परमेश्वर की भक्ति
गौरतलब है कि प्रभु यीशू मसीह ने सेवा कार्य शुरू करने से पहले 40 दिन तक एकांत में रह कर परमेश्वर की भक्ति की और इस दौरान उन्हें कई परीक्षाओं से गुजरना पड़ा। अंत में शैतान ने कड़ी परीक्षा ली, जिसमें प्रभु यीश मसीह सफल होकर निकले। इसीलिए प्रभु यीशु मसीह को दूसरा आदम कहा जा सकता है क्योंकि पहला आदम ईश्वर की परीक्षा में असफल हो गया और उसने दुनिया को पाप की ओर धकेल दिया जबकि दूसरे आदम यानी प्रभु यीशू मसीह ने शैतान की परीक्षा में सफल होकर मनुष्य के लिए मुक्ति का मार्ग खोल दिया जो स्वर्ग के राज के लिए है।
इस महान आध्यात्मिक व्यक्तित्व, प्रभु यीशू मसीह, जिन्हें स पूर्ण मसीह समुदाय पवित्र बाईबल के अनुसार जीवित परमेश्वर मानता है, का जन्मदिन 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इस संबंध में कई दिन पहले से ही मसीह समुदाय क्रिसमस की तैयारियां शुरू कर देता है और भजन मंडली (कॉयर) के रूप में घर-घर जाकर क्रिसमस की शुभकामनाएं देते हैं। 25 दिसंबर को इस पवित्र दिन को लेकर गिरजाघरों में बड़ी श्रद्धा के साथ प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं।