Edited By Jyoti,Updated: 20 Mar, 2022 12:57 PM
अटल और अगाध आस्था को आधार बनाकर ईश्वर से ऐश्वर्य प्राप्ति का मार्ग सुलभ और सुगम ही नहीं बल्कि इहलोक से परलोक की मंगलमय यात्रा का सफलतापूर्वक मार्ग प्रशस्त होता है।
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अटल और अगाध आस्था को आधार बनाकर ईश्वर से ऐश्वर्य प्राप्ति का मार्ग सुलभ और सुगम ही नहीं बल्कि इहलोक से परलोक की मंगलमय यात्रा का सफलतापूर्वक मार्ग प्रशस्त होता है।
अपार श्रद्धा और अटल आस्था जीवन की ऐसी संजीवनी है जिससे हर रोग से मुक्ति मिल सकती है। ईश्वर से ही ऐश्वर्य प्राप्ति का रास्ता निकलता है। जरूरत है तो बस खोजने की, अनुसंधान और अन्वेषण करने की।
इसकी अनिवार्य और मुख्य शर्त है सच्चे हृदय से और नित्य नियम संयम से हरि चिंतन करना। पूजा-अर्चना, जप-तप, ध्यान इत्यादि का जीव श्रीगणेश तो करके देखे। हर क्षण, हर पल, प्रतिपल जीव या मनुष्य प्रभु के श्रीचरणों से सब कुछ समॢपत करके तो देखे।
चरणानुरागी भक्त प्रह्लाद ने ईश्वर से ही ऐश्वर्य प्राप्त किया जो हम सबके लिए आज भी अनुकरणीय है। तुलसीदास जी ने राम चरित मानस में उल्लेख किया है कि ‘ईश्वर अंश जीव अविनाशी’ की अवधारणा को मूर्त रूप देकर ईश्वर के आशीष से बेसहारा, दीन-हीन जिंदगी का भरपूर आनंद ही नहीं उठा पाते बल्कि सच्चे ऐश्वर्य की अनुभूति भी करते हैं।
अंगुलिमाल का दामन भी दागी हो गया था लेकिन अनाथों के नाथ की महती अनुकम्पा से दूध की तरह निर्मल होने के साथ ही प्रभु का दुलारा भी बन गया था। जिन्हें ईश्वर की दयालुता पर विश्वास है वे दयालु बनकर जीते हैं। जिन्हें परम पिता परमेश्वर पर अटल आस्था है वे सदैव आत्मविश्वास से भरे रहते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति अपने अंदर आनंददाता को छिपाए हुए है लेकिन कुछ विरले व्यक्ति ही संसार की भागदौड़ को छोड़कर अपने भीतर आनंददाता की अनुभूति कर पाते हैं। —राजकुमार कपूर