बच्चों को न दें ऐसी शिक्षा,योग्य होने पर भी मिलेगी असफलता

Edited By ,Updated: 12 Feb, 2017 11:24 AM

do not give children such education

इन दिनों माता-पिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वे अपने बच्चों के समक्ष एक स्वप्न रखकर उनको उस पर चलने के लिए प्रेरित कैसे करें। आपको अपने बच्चों

इन दिनों माता-पिता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वे अपने बच्चों के समक्ष एक स्वप्न रखकर उनको उस पर चलने के लिए प्रेरित कैसे करें। आपको अपने बच्चों को बहुमुखी प्रवृत्तियों से परिचित कराना आवश्यक है। जैसे विज्ञान, कला और सबसे महत्वपूर्ण सेवा। यह सुनिश्चित करें कि बच्चों की दृष्टि विशाल हो। साथ ही उनकी जड़ें भी गहरी हों। प्रत्येक बच्चा इस धरती पर कुछ निश्चित प्रकृति और मूलभूत सोच के साथ आया है, जोकि बदली नहीं जा सकती है। माता-पिता के रूप में उनको स्वप्न के लिए प्रेरित करना आवश्यक है लेकिन झूठी आशा जगाना ठीक नहीं है।

 

यह सुनिश्चित कर लें कि आपके बच्चे के दाएं और बाएं मस्तिष्क की गतिविधियां ठीक हैं। विद्या की देवी सरस्वती के एक हाथ में संगीत का यंत्र वीणा और दूसरे हाथ में ज्ञान का चिन्ह पुस्तक। पुस्तक बाएं मस्तिष्क की प्रवृत्तियों को दर्शाती है और संगीत दाएं मस्तिष्क की। जप माला भी है जोकि ध्यान मग्नता के पहलू पर प्रकाश डालती है। इस प्रकार गान, ज्ञान और ध्यान, ये तीनों मिलकर सभी पहलुओं से शिक्षा को पूर्ण करते हैं।

 

बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, उनमें कई प्रकार की मनोग्रंथियों का विकास होने लगता है। एक अभिभावक के रूप में उनके विभिन्न आयु वर्ग के अनुसार व्यवहार का सूक्ष्म अध्ययन करके आपको महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है। जो बच्चे हीन भावना से ग्रस्त होते हैं वे अपने से छोटों के साथ ज्यादा और अपने से बड़ों के साथ कम बातचीत करते हैं। जो बच्चे अहंभावी होते है वे छोटों को छोड़कर बड़ों के साथ ज्यादा रहते हैं। आपको कुछ इस प्रकार के खेल सृजित करने होंगे और उनके साथ इस प्रकार व्यवहार करना होगा कि वे तीनों आयु वर्ग के लोगों के साथ थोड़ी-बहुत बातचीत करने लगें और उनका व्यक्तित्व केन्द्रित गुणवान सरल और सभी ग्रंथियों से मुक्त हो। आप उन्हें ऐसे ढाल सकते हैं। जब एक बच्चा आपके पास आकर किसी के बारे में नकारात्मक बातें करता है तो आपको सकारात्मकता का दर्पण बनना होगा।

 

यदि आप उनसे यही कहते रहेंगे कि यहां सभी झूठे या धोखेबाज हैं तो उनका लोगों और समाज से विश्वास उठ जाता है और इसका असर हर रोज की उनकी बातचीत पर पड़ता है। यदि उनका लोगों से, समाज से और लोगों की अच्छाई से विश्वास हट जाता है तो वे चाहे कितने भी योग्य हों उनकी सारी योग्यता किसी काम नहीं आती और वे कुछ भी करें असफल ही रहते हैं।
 

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