Edited By Sarita Thapa,Updated: 24 Oct, 2025 06:00 AM

एक विदेशी युवा वैज्ञानिक ने रंगों के कुछ नए प्रयोग किए थे। महान वैज्ञानिक डॉक्टर सी.वी. रमन को इसका पता चला तो उनमें इसके प्रति उत्सुकता पैदा हुई। वह उस वैज्ञानिक की प्रयोगशाला में जा पहुंचे।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Dr C V Raman Story: एक विदेशी युवा वैज्ञानिक ने रंगों के कुछ नए प्रयोग किए थे। महान वैज्ञानिक डॉक्टर सी.वी. रमन को इसका पता चला तो उनमें इसके प्रति उत्सुकता पैदा हुई। वह उस वैज्ञानिक की प्रयोगशाला में जा पहुंचे। तब तक रमन को नोबेल पुरस्कार भी मिल चुका था। जब युवा वैज्ञानिक ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के वैज्ञानिक को अपनी प्रयोगशाला में देखा तो चौंक उठा। उसने रमन का स्वागत करते हुए संकोच के साथ उन्हें बैठने को कहा।
लेकिन रमन बैठे नहीं। उन्हें खड़ा देखकर युवा वैज्ञानिक बोला, “सर आप यहां तक आए हैं, यह मेरा सौभाग्य है। मैं तो सपने में भी नहीं सोच सकता कि आप जैसे महान वैज्ञानिक कभी मेरी प्रयोगशाला में आ सकते हैं। कृपया बैठिए।”
रमन बोले मेरी विवशता है कि मैं आपके सामने बैठ नहीं सकता। युवा वैज्ञानिक ने आश्चर्य से कहा, “सर, भला आपके साथ ऐसी क्या विवशता है, जो आप मेरे सामने बैठ नहीं सकते ? आप तो हर तरह से मुझसे बड़े और सम्माननीय हैं।”

रमन बोले, “आपने रंगों के संबंध में नए प्रयोग किए हैं और इस बारे में मैं आपसे कुछ ज्ञान प्राप्त करने आया हूं। इसलिए मैं आपका शिष्य हूं और आप मेरे गुरु। भला मैं अपने गुरु के सामने कैसे बैठ सकता हूं ? क्या आप मुझे रंगों के विषय में कुछ ज्ञान देंगे ?”
युवा वैज्ञानिक बोले, “हां सर, अवश्य बताइए मैं कब आपके पास हाजिर हो जाऊं ?”
डॉ. रमन बोले, “ज्ञान मुझे प्राप्त करना है। गुरु शिष्य के पास कभी नहीं जाता। शिष्य को ही गुरु के पास जाना चाहिए। आप अपनी सुविधा के अनुसार समय बता दीजिए।”
युवा वैज्ञानिक के जीवन का यह स्वर्णिम क्षण था। उसने डॉ. रमन को समय दिया और उनकी विनम्रता और शालीनता का कायल हो गया।
