Edited By Jyoti,Updated: 27 Jun, 2022 12:02 PM
अमृतसर: पंजाब भर में जहां शुद्ध पर्यावरण के लिए कई संस्थाओं द्वारा पौधे लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं इकोसिख संस्था द्वारा 2027 में अमृतसर की स्थापना के 450 वर्ष मनाते शहर के पर्यावरण संकट को दूर करने के लिए 5 वर्षीय मुहिम शुरू की गई है।
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गुरु नगरी में पर्यावरण संकट से निपटने के लिए 5 साल की मुहिम शुरू
अमृतसर: पंजाब भर में जहां शुद्ध पर्यावरण के लिए कई संस्थाओं द्वारा पौधे लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं इकोसिख संस्था द्वारा 2027 में अमृतसर की स्थापना के 450 वर्ष मनाते शहर के पर्यावरण संकट को दूर करने के लिए 5 वर्षीय मुहिम शुरू की गई है। वाशिंगटन आधारित संस्था द्वारा अगले 5 वर्षों में नगर निगम के सहयोग से 450 गुरु नानक पवित्र जंगल लगाए जाएंगे। इकोसिख अमृतसर 450 नाम तले इस मुहिम के अंतर्गत सामाजिक, प्रवासी, धार्मिक व सरकारी संस्थाओं को साथ जोड़कर इस लक्ष्य की ओर बढ़ा जाएगा। इकोसिख द्वारा गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के चलते 10 लाख वृक्ष लगाने के लक्ष्य के तहत 400 से अधिक जंगल लगाए जा चुके हैं।
अमृतसर पंजाब के प्रमुख शहरों में से एक है, जिसका धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। श्री अमृतसर साहिब की नींव गुरु राम दास पातशाह द्वारा 1577 ई. में रखी गई थी। श्री दरबार साहिब अमृतसर और अन्य धर्मों से जुड़े धार्मिक स्थल हैं। पिछले एक साल में शहर में प्रदूषण बढ़ रहा है और धरती के नीचे पानी का स्तर कम हो रहा है। शहर में कूड़े के सुचारू प्रबंधों की कमी है। इकोसिख के अध्यक्ष डा. राजवंत सिंह ने कहा कि श्री अमृतसर साहिब में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिसका प्रभाव आसपास के इलाकों में देखा जा सकता है। जल संसाधनों का भारी उपयोग, भोजन, ऊर्जा और भारी मात्रा में कचरा उत्पन्न होता है। ऐसे में जरूरी है कि प्राकृतिक स्रोतों की संभाल के लिए कदम उठाए जाएं और पर्यावरण खराब होने से बचाने के लिए वृक्ष लगाने बेहद जरूरी हैं। इकोसिख इंडिया की अध्यक्ष सुप्रीत कौर ने कहा कि अमृतसर में हरियाली पिछले वर्षों दौरान बहुत कम हो गई है। बड़ी संख्या में वृक्ष काट दिए गए हैं व उनकी जगह नए वृक्ष बहुत कम लगाए गए हैं। वृक्ष लगाने से शहर को पर्यावरण बदलाव व बुरे प्रभावों से बचाया जा सकता है। इकोसिख जंगल प्रोजैक्ट के कन्वीनर चरण सिंह ने सबको अपील करते हुए कहा कि गुरु नगरी के दर्शन के लिए आने वाले लोगों को पर्यावरण को बचाने के लिए तत्पर होना पड़ेगा।