Edited By Prachi Sharma,Updated: 17 Jul, 2025 07:00 AM

गौतम बुद्ध अपने शिष्यों को अलग-अलग घटनाओं की मदद से भी उपदेश दिया करते थे। उनके शिष्यों में से एक शिष्य ऐसा भी था जो किसी से ज्यादा बोलता नहीं था। वह सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देता था। काम पूरा होने के बाद वह एकांत में चला जाता और ध्यान में बैठ...
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Gautam Buddha Story: गौतम बुद्ध अपने शिष्यों को अलग-अलग घटनाओं की मदद से भी उपदेश दिया करते थे। उनके शिष्यों में से एक शिष्य ऐसा भी था जो किसी से ज्यादा बोलता नहीं था। वह सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान देता था। काम पूरा होने के बाद वह एकांत में चला जाता और ध्यान में बैठ जाया करता था।
कुछ शिष्यों ने गौतम बुद्ध से एकांत में रहने वाले इस शिष्य की शिकायत कर दी। जब धीरे-धीरे उस शिष्य की बुराई ज्यादा होने लगी, तब बुद्ध ने सोचा कि उससे बात करनी चाहिए।
एक दिन उस शिष्य से बुद्ध ने पूछा, “तुम अन्य शिष्यों से ऐसा व्यवहार क्यों करते हो ? सभी शिष्य तुम्हारी शिकायत कर रहे है।”
शिष्य ने ध्यान से महात्मा बुद्ध की बात सुनी, फिर क्षमा-प्रार्थना के स्वर में उनसे बोला, “मैंने यह तय किया है कि जब तक आप यहां हैं, मैं आपसे एकांत और मौन का महत्व समझ लूं। आपके बाद मुझे इन बातों को कोई और कैसे समझाएगा ?”
उस शिष्य की ये बातें सुनकर बुद्ध को भी आश्चर्य हुआ। वह उसका आशय तो तत्काल समझ गए, उसकी साधना और लगन की गहराई से प्रभावित भी हुए, लेकिन उससे कुछ और नहीं बोले।
उसके जाने के बाद बुद्ध ने अन्य शिष्यों को समझाया, “तुम सबने इस एकांतप्रिय शिष्य की गलत शिकायत की है। तुम लोगों ने उसे जाने बिना उसके बारे में अपनी गलत राय बना ली। हमें किसी भी व्यक्ति के लिए जल्दबाजी में कोई राय नहीं बनानी चाहिए।
पहले उस व्यक्ति से मिलें, उसकी गतिविधियों को देखें। हो सके तो उससे संवाद के जरिए उसकी गतिविधियों के पीछे के भाव को समझें।”
बुद्ध की बातें सुनकर सभी शिष्यों को अपनी गलती पर पश्चाताप हुआ।