Gurudwara Kandh Sahib: श्री कंध साहिब जी में आज भी मौजूद है श्री गुरु नानक देव जी के विवाह की यादगार

Edited By Updated: 14 Sep, 2025 02:00 PM

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Gurudwara kandh sahib batala history: भारत की महान आध्यात्मिक परम्परा में गुरु नानक देव जी का नाम अमर और प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने जीवन से मानवता को सत्य, करुणा, समानता और भक्ति का संदेश दिया। हर वर्ष इनका विवाह पर्व गुरदासपुर जिले की धार्मिक और...

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Gurudwara kandh sahib batala history: भारत की महान आध्यात्मिक परम्परा में गुरु नानक देव जी का नाम अमर और प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने जीवन से मानवता को सत्य, करुणा, समानता और भक्ति का संदेश दिया। हर वर्ष इनका विवाह पर्व गुरदासपुर जिले की धार्मिक और प्राचीन नगरी बटाला में भादों सुदी सातवीं को बहुत ही हर्षोल्लास और श्रद्धा से मनाया जाता है।  

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बचपन से ही गुरु नानक देव जी असाधारण गुणों से युक्त थे और उन्होंने अंधविश्वासों में फंसे लोगों को सत्य का मार्ग दिखाने का प्रयास किया। लड़कपन ही से ये सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। सारा समय वे आध्यात्मिक चिन्तन और सत्संग में व्यतीत करने लगे।  

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18 वर्ष की आयु में, आप जी की सगाई बटाला निवासी खत्री मूलचंद पटवारी और माता चंदो रानी की सुपुत्री सुलखनी से हुई। गुरु जी बारात लेकर भादों सुदी 1544 की सातवीं यानी 24 सितम्बर, 1487 को सुल्तानपुर लोधी से कपूरथला, सुभानपुर, बाबा बकाला होते हुए ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी बटाला पहुंचे। उस समय भारी बारिश हो रही थी। इन्हें भाई जमीत राय बंसी की हवेली में ठहराया गया। जहां इन्हें बैठाया गया, वहां एक मिट्टी की दीवार थी। एक वृद्धा ने गुरु जी से कहा कि मिट्टी की दीवार गिरने वाली है, आप दूसरी जगह बैठ जाएं। इस पर श्री गुरु नानक देव जी ने कहा, ‘‘मां भोलिए, यह दीवार युगों-युगों तक रहेगी और हमारे विवाह की यादगार रहेगी।’’

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यही स्थान अब गुरुद्वारा श्री कंध साहिब जी के रूप में प्रसिद्ध है। वह दीवार आज भी गुरुद्वारा साहिब में शीशे के फ्रेम में सुरक्षित है और लाखों श्रद्धालु आज भी इसके दर्शन करते हैं। महाराजा नौ निहाल ने इस स्थान पर एक स्थायी गुरुस्थान बनवाया। जहां गुरु जी द्वारा लावां-फेरे की रस्म निभाई गई वहां गुरुद्वारा श्री डेरा साहिब शोभायमान है। श्री गुरु नानक देव जी का विवाह पर्व हर साल गुरुद्वारा श्री कंध साहिब में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। एक दिन पहले इनकी बारात सुल्तानपुर लोधी से हजारों श्रद्धालुओं के साथ बटाला पहुंचती है। अगले दिन गुरु ग्रन्थ साहिब और पंज प्यारों की अगुवाई में विशाल नगर कीर्तन निकाला जाता है। जगह-जगह धार्मिक दीवान सजाए जाते हैं।    

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