Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Jun, 2023 08:32 AM
एक विदेशी को अपराधी समझ जब राजा ने फांसी का हुक्म सुनाया तो उसने अपशब्द कहते हुए राजा के विनाश की कामना की। राजा ने अपने मंत्री से
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Inspirational Context: एक विदेशी को अपराधी समझ जब राजा ने फांसी का हुक्म सुनाया तो उसने अपशब्द कहते हुए राजा के विनाश की कामना की। राजा ने अपने मंत्री से, जो कई भाषाओं का जानकार था, पूछा-यह क्या कह रहा है ?
मंत्री ने विदेशी की गालियां सुन ली थीं, किन्तु उसने कहा, ‘‘महाराज ! यह आपको दुआएं देते हुए कह रहा है, आप हजार साल तक जिएं।’’
राजा यह सुनकर बहुत खुश हुआ, लेकिन एक अन्य मंत्री ने जो पहले मंत्री से ईर्ष्या रखता था, आपत्ति उठाई कि महाराज ! यह आपको दुआ नहीं बल्कि गालियां दे रहा है।
वह दूसरा मंत्री भी कई भाषाओं का ज्ञाता था। उसने पहले मंत्री की निंदा करते हुए कहा, ‘‘यह मंत्री जिन्हें आप अपना विश्वासपात्र समझते हैं, असत्य बोल रहे हैं।’’
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राजा ने पहले मंत्री से बात कर सत्यता जाननी चाही। तो वह बोला, ‘‘हां महाराज ! यह सत्य है कि इस अपराधी ने आपको गालियां दीं और मैंने आपसे असत्य कहा।
पहले मंत्री की बात सुनकर राजा ने कहा कि तुमने इसे बचाने की भावना से अपने राजा से झूठ बोला। मानव धर्म को सर्वोपरि मानकर तुमने राजधर्म को पीछे रखा। मैं तुमसे बेहद प्रसन्न हुआ। फिर राजा ने विदेशी की ओर देख कर कहा कि मैं तुम्हें मुक्त करता हूं। निर्दोष होने के कारण ही शायद तुम्हें इतना क्रोध आया कि तुमने राजा को गाली दी।
इसके बाद राजा ने दूसरे मंत्री से कहा कि तुमने सच इसलिए कहा क्योंकि तुम पहले मंत्री से ईर्ष्या रखते हो। ऐसे लोग मेरे राज्य में रहने के योग्य नहीं हैं। तुम इस राज्य से चले जाओ। वास्तव में दूसरों की निंदा करने की आदत से अन्य की हानि होने के साथ-साथ स्वयं का भी नुकसान ही होता है।’’