Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Mar, 2024 10:51 AM
बात उन दिनों की है जब जापान में समुराई योद्धा हुआ करते थे। ये योद्धा बड़े ही बहादुर होते थे। नोबुगिशे ऐसा ही एक समुराई योद्धा था। नोबुगिशे
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Inspirational Story: बात उन दिनों की है जब जापान में समुराई योद्धा हुआ करते थे। ये योद्धा बड़े ही बहादुर होते थे। नोबुगिशे ऐसा ही एक समुराई योद्धा था। नोबुगिशे ने यह कला बहुत दिनों की साधना के बाद पाई थी, मगर साधना के दौरान उसके दिमाग में एक सवाल ने घर कर लिया था।
सवाल यह था कि क्या स्वर्ग और नर्क वाकई होते हैं ? इस सवाल का जवाब जानने के लिए नोबुगिशे काफी भटका। फिर एक दिन उसने किसी से सुना कि गुरु हाकुइन उसकी समस्या का समाधान कर सकते हैं।
अब नोबुगिशे उनके पास आया और पूछा, “गुरु जी, मुझे इस बात का जवाब कहीं नहीं मिल रहा है कि क्या स्वर्ग और नर्क वास्तव में होते हैं।”
“तुम कौन हो ?” हाकुइन ने पूछा।
सैनिक ने उत्तर दिया, “मैं समुराई हूं।” तुम सैनिक हो ?
हाकुइन ने आश्चर्य से कहा, “तुम्हारे जैसे व्यक्ति को कौन राजा अपना सैनिक बनाएगा? तुम भिखारी की तरह दिखते हो ?”
गुरु के मुंह से यह सुनकर नोबुगिशे को इतना गुस्सा आया कि उसका हाथ अपनी तलवार की मूठ पर चला गया। हाकुइन ने यह देखकर कहा, “अच्छा, तो तुम्हारे पास तलवार भी है। लेकिन इसमें इतनी धार नहीं कि यह मेरा सर कलम कर सके।”
अब नोबुगिशे ने एक झटके से अपनी तलवार म्यान से निकाल ली।
हाकुइन ने कहा, “देखो, नर्क का द्वार खुल गया।” यह सुनते ही समुराई नोबुगिशे को हाकुइन का मंतव्य समझ में आ गया। उसने तलवार नीचे रख दी और गुरु के समक्ष दंडवत हो गया।
हाकुइन ने कहा, “देखो, स्वर्ग का द्वार खुल गया।”