ज्योतिष शास्त्र से जानें किन स्थितियों में आता है हार्ट अटैक

Edited By Jyoti,Updated: 12 Jun, 2021 03:35 PM

jyotish shastra and diseases

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ ज्योतिष में ये सभी रहस्य छिपे हुए हैं जो आप अपने बारे में आंखों से नहीं देख सकते। ज्योतिषी अपनी गणना में गलत हो सकता है, ज्योतिष शास्त्री नहीं और यह गणना ज्योतिषी के अनुभव

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
ज्योतिष में ये सभी रहस्य छिपे हुए हैं जो आप अपने बारे में आंखों से नहीं देख सकते। ज्योतिषी अपनी गणना में गलत हो सकता है, ज्योतिष शास्त्री नहीं और यह गणना ज्योतिषी के अनुभव, ज्ञान, उसकी विश्लेषण योग्यता जन्मपत्री का सही समय आदि कई बिंदुओं पर निर्भर करता है। एक डाक्टर मरीज का डायग्नोसिस करके तभी रोग बता सकता है जब रोग हो चुका हो परन्तु जन्मपत्री के माध्यम से उस दिन ही सब  रोग पता चल जाते हैं जिस दिन वह मनुष्य इस धरती पर जन्म लेता है।

पहले दिन ही बताया जा सकता है कि जातक को कब कौन सा रोग होगा? ऐेनक किस आयु में लगेगी? दुर्घटना कब घटेगी, जोड़ों का दर्द कब होगा, सर्जरी कब होगी, किस भाग की होगी, फ्रैक्चर शरीर के किस भाग में और कब होगा, दिल की बीमारी होगी या नहीं, क्षय रोग होगा या कैंसर, रक्तचाप, एलर्जी, गठिया, किडनी आदि के रोग होंगे या नहीं, होंगे तो किस वर्ष में आदि-आदि..।

सब कुछ पहले ही तय है और बताया जा सकता है। परन्तु मानव व्यवहार ऐसा है कि अपने बारे में कुछ भी नकारात्मक सुनना ही नहीं चाहता और ज्योतिषी के पास वह सब कुछ अच्छा-अच्छा सुनने जाता है जो उसके मन में पहले ही होता है। अत: रोग होने से पहले जानने में और उसकी सावधानी रखने में चूक जाता है। चिकित्सा विज्ञान तो रोग घटित होने पर ही बता सकता है कि कैंसर की तीसरी स्टेज है या गॉल ब्लैडर में पथरी है परन्तु आपकी जन्मपत्री और अनुभवी ज्योतिषी आपको बरसों पहले आने वाले रोग से आगाह कर सकता है।

चंडीगढ़ के एक प्रसिद्ध हार्ट केयर अस्पताल के कार्डियो विभाग में मरीजों की कुंडलियों का विश्लेषण और उनसे बातचीत करने पर पाया कि यदि हार्ट अटैक का काम्बीनेशन आपको कुंडली में है तो आपको अच्छे से अच्छा सर्जन या हृदय रोग विशेषज्ञ भी इस रोग से नहीं बचा सकता। इस अस्पताल में एक हार्ट स्पैशलिस्ट डाक्टर, एक किसान, एक फौजी, एक महिला, एक 12 साल का बच्चा जब बाईपास सर्जरी करवाते दिखे तो उन्होंने उन सभी तथ्यों की पुष्टि की जिनसे हार्ट प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए और फिर भी अच्छी सेहत, उचित रखरखाव और नियमित व्यायाम, योगासनों आदि के बावजूद हो गई।

यूं तो ज्योतिष शास्त्र की मैडीकल शाखा, बहुत विशाल तथा चिकित्सा विज्ञान की तरह ही काम्प्लीकेटिड है फिर भी हम एक आम पाठक की सुविधा के लिए कुछ योग बता रहे हैं जो वह स्वयं अपनी कुंडली में देख  सकते हैं जिसका इस शाखा में पूर्ण अनुभव हो।

कुंडली में प्रथम भाव शरीर, चौथा व पांचवां छाती व हृदय का, छठा भाव रोग, ऋण व रिपु का माना गया है। बारहवां भाव अस्पताल और व्यय का होता है। आठवां मृत्यु स्थान कहलाता है। यदि इन तीन भावों की दशाएं एक साथ आ जाएं या गोचर में परस्पर संबंध बन जाएं तो समझें कि आपातकाल लागू होने वाला है या मृत्युतुल्य स्थिति बनने वाली है या कोर्ट, कचहरी, थाने व अस्पतालों की परिक्रमा के दिन आ गए हैं।

यदि लग्न में शुभ ग्रह हैं और लग्ृनेश बलवान है तो इस रोग की संभावना कम रहती है और पहले भाव में क्रूर ग्रह या मार्केश की दृष्टि या युति हो तो हृदय रोग की संभावना प्रबल रहती है। पहले भाव में ही सूर्य, मंगल, राहू, शनि ग्रहों की युति हो या दृष्टि हो या छठे भाव का स्वामी स्वयं लग्न में हो तो भी हार्ट संबंधी समस्याओं से बचना कठिन रहता है।

दिल के रोग का कारक ग्रह सूर्य है तो मंगल रक्त संचार को नियंत्रित करता है। शनि रोगों का द्योतक है।

षष्ठेष यदि किसी अन्य भाव से परिवर्तन योग बनाता है तो उस अंग की हानि करता है।

यदि सिंह, कन्या और वृश्चिक लग्र हो तो भी हृदय संबंधी रोग की आशंका रहती है।

सूर्य नीच राशि का या मंगल के साथ हो और प्रथम, चतुर्थ या 10वें भाव में विद्यमान हों।  सूर्य-गुरु व शनि, मंगल, सूर्य, शुक्र 4 में, या राहू-केतु की दृष्टि हो तो भी हृदयाघात से जीवन डांवाडोल हो जाता है।

शनि-बुध की युति या इनकी दशा, दिल की नसें कमजोर करते हैं।

मेष लग्र में शनि, कर्क का षष्ठेश बुध और सूर्य पाप मध्य हो तो भी हृदय रोग होता है।

ऐसे बहुत से योग हर लग्र के लिए अलग-अलग हैं, परन्तु मुख्यत: दिल की बीमारी सूर्य-शनि और दिल का दौरा शनि-मंगल देते हैं। —मदन गुप्ता सपाटू

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