Kark Sankranti 2025: जुलाई में कब है कर्क संक्रांति ? जानें सूर्य पूजा का शुभ समय और महत्व

Edited By Updated: 06 Jul, 2025 05:00 AM

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Kark Sankranti 2025: हर माह सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं और उस दिन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जुलाई में सूर्य देव कर्क राशि में प्रवेश करेंगे और इसे कर्क संक्रांति के नाम से जाना जाएगा।

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Kark Sankranti 2025: हर माह सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं और उस दिन को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। जुलाई में सूर्य देव कर्क राशि में प्रवेश करेंगे और इसे कर्क संक्रांति के नाम से जाना जाएगा। इस दिन सूर्य देव की उपासना करना बेहद ही खास और शुभ माना जाता है। सूर्य देव की उपासना करने से करियर में दिन दोगुनी चार चौगुनी तरक्की देखने को मिलती है। इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य देव का प्रभाव बाकि दिनों से अधिक हो जाता है, इस वजह से इस दिन की मान्यता बहुत है। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि किस दिन मनाया जाएगा कर्क संक्रांति का पर्व-

कर्क संक्रांति कब है ?
हिन्दू पंचांग के मुताबिक 16 जुलाई को सूर्य देव मिथुन राशि से कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव सुबह 5 बजकर 40 मिनट पर गोचर करेंगे और 17 अगस्त तक यहीं रहेंगे। 

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पुण्य काल का शुभ समय

पुण्य काल- सुबह 05 बजकर 40 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 40 मिनट तक। 
महा पुण्य काल- 16 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 40 मिनट तक। 

कर्क संक्रांति पर बनेगा शुभ योग 
इस दिन बहुत से शुभ योग बनने जा रहे हैं, जिस वजह से इसकी मान्यता और भी ज्यादा बढ़ गई है। इस दिन शोभन योग 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही इसी दिन पूर्व भाद्रपद और उत्तर भाद्रपद का संयोग बनेगा। इस दौरान सूर्य देव की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा। 

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Kark Sankranti 2025 कर्क संक्रांति पूजा विधि  
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शुद्ध होकर पवित्र नदी, सरोवर या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
एक साफ स्थान पर लाल या पीले वस्त्र बिछाकर सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र रखें।
दीपक जलाएं और रोली, चावल, पुष्प, लाल वस्त्र, लाल चंदन, गुड़ और गेहूं से पूजा करें।
इसके बाद ॐ घृणि: सूर्याय नमः का 11, 21 या 108 बार जाप करें।
तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, रोली, अक्षत मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
यदि संभव हो तो व्रत रखें। दिनभर फलाहार करें और सात्विक आहार ग्रहण करें।
इस दिन दान करने का बहुत पुण्य होता है।
 तांबा, गेहूं, गुड़, घी, लाल वस्त्र, छाता, जल से भरे घड़े, फल, अनाज, दक्षिणा आदि।
ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन और वस्त्र दान करना श्रेष्ठ माना जाता है।

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