Lord Ayyappa story: अपनी बीमार मां के लिए मादा चीता का दूध दुह लाया भगवान शास्ता का अवतार अय्यप्पन, पढ़ें कथा

Edited By Updated: 06 Jul, 2025 02:00 PM

lord ayyappa story

Lord Ayyappa story: अपनी बीमार मां के लिए मादा चीता का दूध दुह लाया भगवान शास्ता का अवतार अय्यप्पन, पढ़ें कथाबहुत समय पहले केरल राज्य के पत्रलम नामक स्थान पर एक दयालु राजा का राज्य था। उसकी प्रजा अत्यंत सम्पन्न, समृद्ध और प्रसन्न थी। किसी भी वस्तु...

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Lord Ayyappa story: अपनी बीमार मां के लिए मादा चीता का दूध दुह लाया भगवान शास्ता का अवतार अय्यप्पन, पढ़ें कथाबहुत समय पहले केरल राज्य के पत्रलम नामक स्थान पर एक दयालु राजा का राज्य था। उसकी प्रजा अत्यंत सम्पन्न, समृद्ध और प्रसन्न थी। किसी भी वस्तु का अभाव न था। प्रजा अपने राजा की जय-जयकार करती परंतु इतना सब होने पर भी राजा दुखी था क्योंकि उसके कोई संतान न थी। जब वह अपने दास-दासियों को उनके बच्चों के साथ हंसते-खिलखिलाते देखता तो उसका मन उदास हो जाता।

Lord Ayyappa story
एक बार वह शिकार खेलने जंगल में गया। तभी उसे गहरे सन्नाटे के बीच किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। कुछ ही समय बाद रोना थम गया परंतु राजा जानना चाहता था कि घने जंगल में छोटा बच्चा कहां से आ गया। वह घूमते-घूमते एक झोंपड़ी के बाहर जा पहुंचा। वहां एक गोल-मटोल नन्हा सा शिशु टोकरी में लेटा हुआ था। राजा ने उसे गोद में उठाकर पुचकारा तो वह हंस पड़ा। राजा ने तो मानो नया जीवन पा लिया।

वहीं समीप ही एक वृद्ध व्यक्ति ध्यान में लीन था। आंखें खोल कर उसने राजा से कहा, ‘‘महाराज यह हमारा पुत्र है किन्तु मैं चाहता हूं कि आप इसे गोद ले लें। मैं और मेरी पत्नी संन्यास लेना चाहते हैं।’’

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नन्हे शिशु ने राजा का मन मोह लिया था। उसने बच्चे को छाती से लगाया और चल पड़ा। पीछे से उस व्यक्ति का स्वर सुनाई दिया, ‘‘यह बच्चा भगवान शास्ता का अवतार है, बड़ा होकर धर्म की रक्षा करेगा।’’

राजा ने इस बात की ओर अधिक ध्यान न दिया। महल के कोने-कोने में प्रसन्नता छा गई। बालक का नाम ‘अय्यप्पन’ रखा गया। रानी मां भी बालक ‘अय्यप्पन’ के पालन-पोषण में कोई कमी न आने देती।

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राजा-रानी का ‘अय्यप्पन’ के प्रति प्रेम देख कर राज सिंहासन पर दृष्टि गड़ाए बैठा मंत्री ईर्ष्या से जल-भुन गया क्योंकि उसे लगता था कि राजा का कोई पुत्र न होने के कारण राज्य तो उसी के पुत्र को मिलना है परन्तु ‘अय्यप्पन’  के आ जाने से सब गड़बड़ हो गया। मंत्री सदा ‘अय्यप्पन’ को जान से मारने की योजना बनाता रहता। एक बार रानी मां गंभीर रूप से बीमार पड़ गई। मंत्री को एक उपाय सूझ गया। उसने एक नकली वैद्य महल में भेजा जिसने कहा, ‘‘यदि रानी को अच्छा करना है तो उन्हें मादा चीता का दूध पिलाया जाए।’’

वैद्य की बात को कौन टालता? शीघ्र ही ऐसे साहसी व्यक्ति की खोज होने लगी जो भयानक जानवर का दूध दुह कर ला सके। कोई भी जाने को तैयार न था। तब ‘अय्यप्पन’ बोला, ‘‘पिता जी मैं मादा चीता का दूध दुह कर लाऊंगा।’’

उसकी जिद के आगे राजा की एक न चली। मंत्री का मनोरथ सिद्ध हुआ। वह प्रतिदिन ‘अय्यप्पन’ की मृत्यु की  सूचना आने की प्रतीक्षा करता परन्तु जब अय्यपन जंगल से मादा चीता पर सवार होकर लौट आया तो उसकी सारी योजना पर पानी फिर गया और उसके पीछे बहुत से शिशु चीते भी थे।

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सारी प्रजा और राजा ‘अय्यप्पन’  का साहस देख कर दंग रह गए। राजा को अचानक वह बात स्मरण हो आई ‘यह बच्चा भगवान शास्ता का अवतार है।’

उसने ‘अय्यप्पन’  के चरण छुए। ‘अय्यप्पन’  ने राजा को आत्मज्ञान का उपदेश दिया। अंत में उसने कहा, ‘‘मैं शवरगिरी के ध्वस्त मंदिर को फिर से बनाने आया हूं।’’

शीघ्र ही अय्यप्पन ने अपने लक्ष्य में सफलता पाई और प्रकाशपुंज बन कर मंदिर की मूर्ति में समा गए।

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