यहां होती है भूतों की Kitty Party, जानें क्या है इस जगह का रहस्य

Edited By Jyoti,Updated: 07 Dec, 2019 03:00 PM

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आप में से बहुत से लोग होंगे जो भूत प्रेत की बातों पर विश्वास नहीं करते होंगे। मगर क्या आप जानते हैं कि मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से 42 किमी दूर चिचोली तहसील मुख्यालय से करीब 7 कि.मी दूरी पर बसे मलाजपुर गांव में आज के समय में भी भूतों का मेला लगता है।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आप में से बहुत से लोग होंगे जो भूत प्रेत की बातों पर विश्वास नहीं करते होंगे। मगर क्या आप जानते हैं कि मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से 42 किमी दूर चिचोली तहसील मुख्यालय से करीब 7 कि.मी दूरी पर बसे मलाजपुर गांव में आज के समय में भी भूतों का मेला लगता है। जी हां, हैरान करने देने वाला ये तथ्य बिल्कुल सच है। लोक मान्यताओं के आधार पर यहां हर साल मकर संक्रांति की पूर्णिमा को वालाभूतों का मेला लगता है यो वसंत पंचमी तक चलता है। यहां आस-पास के निवासियों द्वारा जानकारी दी गई है कि यहां दूर-दूर से लोग अपने परिजनों को प्रेतबाधा से मुक्ति दिलवाने के लिए आते हैं। आइए जानें इससे जुड़ी खास बातें-
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गुरु साहब बाबा की समाधि
पौराणिक कथाओं के अनुसार 1770 में गुरु साहब बाबा नाम के साधु यहां पर अपनी शक्तियों के द्वारा लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे और लोगों को प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलवाते थे। गांव के सभी लोग उन्हें भगवान का ही रूप मानते थे। बाबा के पास ऐसी चमत्कारिक शक्तियां थीं की वह भूत-प्रेतों को वश में कर लिया करते थे। उन्होंने एक वृक्ष के नीचे ही जिंदा समाधि ले ली थी। बाद में गांववालों ने समाधी स्थल के पास में ही एक मंदिर बनवाया और हर वर्ष उनकी याद में मेले का आयोजन प्रारंभ करवा दिया। गांव वाले भूतों के इस मेले में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। बाबा के समाधी लेने के बाद भी यहां प्रेतबाधा से पीड़ित व्यक्ति को प्रेतबाधा से मुक्ति मिल जाती है।

प्रेतबाधा से मुक्ति 
बताया जाता है मंदिर में लगने वाले भूतों के मेले में बुरी आत्माओं, भूत-प्रेतों और चुड़ैल से प्रभावित लोग पेड़ की परिक्रमा करते हैं और अपनी बाधाएं दूर करते हैं। शाम की पूजा के बाद पेड़ की परिक्रमा की जाती है।मान्यता के अनुसार प्रेत बाधा से परेशान व्यक्ति विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है, जबकि दूसरे सीधी दिशा में ही परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा के दौरान जिन पर भूत-प्रेत का साया होता है वह कपूर जलाकर अपने हाथ और जुबान पर रख लेते हैं। मान्यताओं के अनुसार सभी भूतप्रेत बाबा से भीख मांगते हैं और वादा करते हैं कि अब इस व्यक्ति के शरीर में कभी प्रवेश नहीं करूंगा या करूंगी।
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गुड़ चढ़ाने की परंपरा
प्रेतबाधा से मुक्ति मिल जाने के बाद यहां पर व्यक्ति के वजन जितना गुड़ मंदिर में दान दिया जाता है। यहां काफी मात्रा में गुड़ जमा होने के बाद भी उसमें कीड़े, मक्खियां या चीटियां नहीं लगती हैं। यह भी एक चमत्कार से काम नहीं।

पूर्णिमा संक्राति पर भी लगता है ये मेला-
मकर संक्राति के बाद आने वाली पूर्णिमा वाले इस भूतों के मेले में आने वाले सैलानियों में देश-विदेश के लोगों की संख्या अधिक होती है। मेले का सारा आयोजन मलाजपुर की ग्राम पंचायत करती है।
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