Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Sep, 2025 02:49 PM

Maharaja Agrasen Jayanti 2025: अग्रसेन जयंती प्रायः आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (नवरात्रि के पहले दिन) को मनाई जाती है। इस दिन अग्रवाल समाज और वैश्य समाज बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से महाराजा अग्रसेन को याद करते हैं। 22 सितंबर 2025 सोमवार को...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Maharaja Agrasen Jayanti 2025: अग्रसेन जयंती प्रायः आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (नवरात्रि के पहले दिन) को मनाई जाती है। इस दिन अग्रवाल समाज और वैश्य समाज बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से महाराजा अग्रसेन को याद करते हैं। 22 सितंबर 2025 सोमवार को अग्रसेन जयंती है। ये दिन महान राजा महाराजा अग्रसेन जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। वह न केवल बनिया अग्रवाल समाज के आदि पुरुष माने जाते हैं बल्कि आदर्श राजा और समाज सुधारक भी थे। माना जाता है की जब कलयुग की शुरुआत हो रही थी, द्वापर युग का अंतिम समय चल रहा था, तब महाराजा अग्रसेन का जन्म द्वापर युग के अंतिम समय में सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा वल्लभ के घर हुआ।

महाराजा अग्रसेन ने अपने जीवनकाल में एक नियम बनाया था। जब भी कोई नया परिवार नगर में बसने आए तो हर परिवार उसे एक रुपया और एक ईंट उपहार स्वरुप दे, ताकि नया परिवार अपना व्यापार शुरू कर सके और घर बना सके। यही परंपरा सहयोग और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। सब लोग मिलकर जहां उसके रोजगार की व्यवस्था करते थे, वहां एक-एक ईंट जोड़कर उसका घर बन जाता था। इस तरह वह व्यक्ति आत्मनिर्भर बन जाता था। वह सफल होने पर समाज का ऋण चुकाता। दरअसल, उनकी सोच थी कि शासक से मिलने वाली किसी भी तरह की मदद व्यक्ति को काहिल बना सकती है।
पूरे देश में प्राचीन काल से बनी सामुदायिक शिक्षण संस्थाएं, जल स्रोत, सराय व वन संपदा का संवर्धन महाराजा अग्रसेन की इसी सोच का परिणाम था। महाराजा अग्रसेन सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध लड़े। उन्होंने बलि प्रथा का विरोध किया। मांसाहार व मदिरापान को समाज के पतन का मुख्य कारण बताया। अहिंसा के पुजारी, शान्तिदूत महाराजा अग्रसेन का जन्म प्रतापनगर के राजा वल्लभ के गृह में लगभग 5100 वर्ष पूर्व हुआ। महालक्ष्मी के आशीर्वाद का कवच पाकर महाराजा अग्रसेन ने पूरे भारत को जानने के लिए यात्रा की और अपना राज्य स्थापित करने का निश्चय किया।

अग्रसेन जयंती समाज सेवा, दान और समानता की भावना का संदेश देती है। यह दिन हमें सिखाता है कि समाज में किसी को भी अकेला या कमजोर नहीं छोड़ना चाहिए। अग्रवाल समुदाय ने हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेन्दु हरीश चंद्र, पंजाब केसरी लाला लाजपत राय, सर गंगाराम, डा. भगवान दास, सर शादी लाल, हनुमान प्रसाद दौधर तथा डा. राम मनोहर लोहिया जैसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी तथा कमलापति सिंघानिया जैसे उद्योगपति भारतीय समाज को दिए। आज भी महाराजा अग्रसेन की नीतियों पर चलते हुए 18 गोत्रों के अग्रवंशी समाज सेवा के क्षेत्र में सबसे आगे हैं।
महाराजा अग्रसेन जी के आदर्शों का पालन करते हुए अग्र बंधुओं ने देश में हजारों स्कूलों, कालेजों, धर्मशालाओं, अस्पतालों, मन्दिरों, गौशालाओं, अनाथालयों, तालाबों व कुओं का निर्माण करवाया। देश की हजारों योजनाओं में अग्र बंधुओं का सक्रिय योगदान है। देश के निजी क्षेत्र के लगभग 33 प्रतिशत उत्पादन व सेवाओं का श्रेय अग्र बंधुओं को जाता है, जो टैक्स का सर्वाधिक योगदान राष्ट्रीय खजाने में देते हैं।
