Maithon Dam: अध्यात्म, प्रकृति, इंजीनियरिंग और पर्यटन का अद्भुत संगम मैथन बांध

Edited By Updated: 14 Jun, 2025 06:00 AM

maithon dam

Maithon Dam: ‘झारखंड का कश्मीर’ कहा जाने वाला मैथन बांध एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, इंजीनियरिंग कौशल और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मैथन बांध बराकर नदी पर स्थित है और झारखंड तथा पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है। यह...

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Maithon Dam: ‘झारखंड का कश्मीर’ कहा जाने वाला मैथन बांध एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, इंजीनियरिंग कौशल और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मैथन बांध बराकर नदी पर स्थित है और झारखंड तथा पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है। यह रांची से करीब 194 किलोमीटर की दूरी पर है जो झारखंड के सबसे बड़े डैमों में से एक है।

Maithon Dam
प्रकृति के अनमोल खजानों से भरा झारखंड अनेक पर्यटन क्षेत्रों से परिपूर्ण है। यहां मौजूद बांध, पहाड़ियां, जंगल और मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं। इनकी आभा और सुंदरता लोगों का मन मोह लेती है। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न इस राज्य में मैथन डैम है, जो पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। हजारों पर्यटक हर साल यहां घूमने और पिकनिक मनाने आते हैं। इसकी लोकप्रियता की वजह से ही इसे ‘झारखंड का कश्मीर’ भी कहा जाता है जिसके मनमोहक दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करते हैं।

यह धनबाद जिले में स्थित एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, इंजीनियरिंग कौशल और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यह डैम बराकर नदी पर स्थित है और झारखंड तथा पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित है। यह रांची से करीब 194 किलोमीटर की दूरी पर है, जो झारखंड के सबसे बड़े डैमों में से एक है।

Maithon Dam

ऐतिहासिक और तकनीकी विशेषताएं
मैथन डैम का निर्माण 1953 से 1957 के बीच हुआ था और इसका उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और विद्युत उत्पादन था। यह डैम भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के स्वप्नों में से एक था।

आकार और क्षमता : डैम की लंबाई लगभग 4,789 मीटर और ऊंचाई 50 मीटर है। इसका जलाशय 65 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो मैथन झील के नाम से जाना जाता है।

विद्युत उत्पादन : मैथन डैम में एशिया का पहला भूमिगत जलविद्युत संयंत्र है, जो 60 मैगावाट की क्षमता से बिजली उत्पन्न करता है। यह भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

Maithon Dam
पर्यटन आकर्षण
मैथन झील :
झील की शांत जलराशि और हरे-भरे परिवेश इसे नौका विहार, मछली पकड़ने और पक्षी अवलोकन के लिए आदर्श बनाते हैं।

डियर पार्क : डैम के पास स्थित डियर पार्क में पर्यटक हिरणों को प्राकृतिक वातावरण में देख सकते हैं।

कल्याणेश्वरी मंदिर : डैम से लगभग 6 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर मां काली को समर्पित है और धार्मिक आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि इस जगह पर मां कल्याणेश्वरी प्रकट हुई थीं, जिन्हें लेकर स्थानीय निवासियों में अपार श्रद्धा और विश्वास है। यहां माता की अष्टधातु से बनी मूर्ति स्थापित है। मंदिर में लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। यहां एक नीम का पेड़ है, जिसमें लोग पत्थर बांधकर अपनी मनोकामना मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर पत्थर को नदी में विसर्जित कर देते हैं। हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं। इनमें झारखंड और पश्चिम बंगाल के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा रहती है। मां सबका कल्याण करती हैं, इसलिए मंदिर का नाम कल्याणेश्वरी है।

पिकनिक और फोटोग्राफी : मैथन डैम का सुंदर परिदृश्य इसे पिकनिक और फोटोग्राफी के लिए उपयुक्त स्थान बनाता है, विशेषकर सूर्यास्त के समय।

मैथन के 12 द्वीप
मैथन के 12 द्वीप भी पर्यटकों में काफी लोकप्रिय हैं। इन द्वीपों के मनमोहक दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां आपको प्रमुख 6 द्वीपों के बारे में बता रहे हैं :
बड़ा द्वीप (चम्मच पहाड़) : कभी यहां पर्यटकों की भीड़ हुआ करती थी। इसके बड़े आकार और घने जंगल को देखते हुए अब इस पर जाने से मना कर दिया गया है। नौकायन से इसका चक्कर लगा सकते हैं या करीब जाकर इसे निहार सकते हैं।

छोटा द्वीप : यहां समतल जमीन भी है। हरे-भरे पेड़ हैं। यहां 15 मिनट तक रुकने का ही निर्देश है।

सबुज द्वीप : इस द्वीप पर एक पार्क सैलानियों के लिए बना है। इसकी हरियाली के कारण सबुज द्वीप नाम दिया गया है। यह सबके लिए खुला है। 30 मिनट तक यहां रुका जा सकता है।

निल द्वीप : यहां लगभग न के बराबर पेड़ होने के कारण इसे निल (खाली) द्वीप नाम दिया गया है।

बंगलो द्वीप : यहां पश्चिम बंगाल सरकार और डी.वी.सी. के रैस्ट हाऊस व बंगले हैं। यहां अधिकांश अधिकारी वर्ग ही जा सकते हैं। आम लोगों के लिए चुनिंदा दिन ही यह खुला रहता है।

उल्टा चम्मच द्वीप : इस द्वीप पर भी जाना मना है। अधिक दूरी के कारण भी यहां इक्के-दुक्के नाव वाले ही जाना स्वीकार करते हैं। ठहरना मना है।

यात्रा सुझाव
डैम क्षेत्र में प्रवेश के लिए अनुमति आवश्यक हो सकती है। यात्रा से पहले स्थानीय अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करें।
डैम के किनारे फिसलन हो सकती है, उचित जूते पहनें और बच्चों पर विशेष ध्यान दें।
स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण का सम्मान करें, कचरा न फैलाएं और वन्यजीवों को परेशान न करें।
मैथन डैम न केवल झारखंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, बल्कि यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल और प्राकृतिक सौंदर्य का भी प्रतीक है। यदि आप प्रकृति, इतिहास और रोमांच का संगम अनुभव करना चाहते हैं, तो मैथन डैम की यात्रा अवश्य करें।

कैसे पहुंचें
सड़क मार्ग :
मैथन डैम, धनबाद से लगभग 48 किलोमीटर और आसनसोल से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन बराकर है, जो डैम से लगभग 8 किलोमीटर दूर है।
वायु मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा रांची में स्थित है, जो डैम से लगभग 194 किलोमीटर दूर है।

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