Malluru Narasimha Swamy Temple: एक मंदिर जहां भगवान की मूर्ति में धड़कती है जान, जानिए नरसिंह मंदिर का रहस्य

Edited By Updated: 17 Aug, 2025 10:16 AM

malluru narasimha swamy temple

Malluru Narasimha Swamy Temple: भारत में कई मंदिर हैं जो अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही है नरसिंह मंदिर। मल्लुरु नरसिम्हा स्वामी मंदिर, जिसे हेमाचल नरसिम्हा स्वामी मंदिर भी कहा जाता है, तेलंगाना के वारंगल जिले के...

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Malluru Narasimha Swamy Temple: भारत में कई मंदिर हैं जो अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही है नरसिंह मंदिर। मल्लुरु नरसिम्हा स्वामी मंदिर, जिसे हेमाचल नरसिम्हा स्वामी मंदिर भी कहा जाता है, तेलंगाना के वारंगल जिले के मंगपेट मंडल के मल्लुर में स्थित एक पवित्र स्थान है। यह मंदिर अपनी ‘जीवित प्रतिमा’ के कारण दुनियाभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।

मंदिर तक पहुंचने का सफर अपने आप में एक खास अनुभव है। मंदिर हरी-भरी प्राकृतिक सुंदरता से घिरा है और पहाड़ियों की शांति इसे आध्यात्मिक साधकों के लिए एक पसंदीदा स्थान बनाती है। मंदिर कृष्णा नदी के किनारे एक छोटी पहाड़ी पर विद्यमान है, जिसे स्थानीय लोग हेमाचल पर्वत या स्वर्णगिरी के नाम से भी जानते हैं। ‘हेमाचल’ शब्द का अर्थ होता है ‘सोने के समान चमकता हुआ पर्वत’ और यह नाम इस स्थान के देवत्व तथा अद्भुत प्राकृतिक दृश्य को दर्शाता है। मंदिर का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक है, जो भक्तों को प्रगाढ़ भक्ति और सुकून प्रदान करता है। यहां लोग ध्यान लगाने और शांति से प्रार्थना करने आते हैं। भक्त लम्बी सीढिय़ों को चढ़ कर भगवान नरसिम्हा स्वामी का आशीर्वाद पाने के लिए यहां आते हैं।

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अनूठी प्रतिमा
मंदिर में भगवान नरसिंह की एक 10 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। इसको जीवित माना जाता है और यही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की प्रतिमा में दिव्य ऊर्जा का वास है। इस प्रतिमा की आंखें, मुखमंडल और त्वचा एक जीवित व्यक्ति की तरह प्रतीत होती हैं। प्रतिमा की त्वचा इंसानी त्वचा जैसी मुलायम है और अगर इसे दबाया जाए तो त्वचा पर गड्ढा बन जाता है। यही कारण है कि इस को बहुत ही अनोखा मंदिर माना जाता है।

मंदिर का इतिहास और स्थापना
हेमाचल लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर की प्रतिष्ठा केवल उसकी धार्मिक श्रेष्ठता में ही नहीं, बल्कि उसकी पुरातनता और अलौकिकता में भी है। स्थानीय मान्यता के अनुसार इस मंदिर का सरोकार सतयुग से है और मंदिर का इतिहास 4000 साल पुराना है। इसके अलावा ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की रचना स्वयं देवताओं द्वारा की गई थी। यद्यपि मंदिर से जुड़े पुरातात्विक प्रमाण बहुत सीमित हैं, फिर भी इसके पारलौकिक महत्व को लेकर स्थानीय लोगों की श्रद्धा अटल है। लोककथा यह भी कहती है कि नरसिम्हा अवतार के बाद भगवान विष्णु ने अपने उग्र स्वरूप को इसी स्थान पर शांत किया था, जिससे यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है।

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मंदिर की वास्तुकला
मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। इसका मुख्य द्वार गोपुरम नामक एक भव्य संरचना है जो देखते ही बनती है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां और पौराणिक कथाओं की नक्काशी है जो मंदिर को और भी खूबसूरत बनाती हैं।

मंदिर में उत्सव
मंदिर में ब्रह्मोत्सवम उत्सव के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। हर साल आयोजित होने वाले इस उत्सव में भगवान नरसिंह की मूर्ति को एक भव्य शोभायात्रा में ले जाया जाता है। इस दौरान देशभर से आए श्रद्धालु मंदिर में उमड़ पड़ते हैं और इस दिव्य उत्सव का हिस्सा बनते हैं। मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं बल्कि एक अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी है, जहां भक्त भगवान नरसिंह की उपस्थिति को साक्षात अनुभव करते हैं।

कैसे पहुंचें
मंदिर तक सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। वारंगल शहर में एक रेलवे स्टेशन है, जो देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा हैदराबाद में है, जहां से आप बस या टैक्सी के जरिए नरसिंह मंदिर पहुंच सकते हैं।

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