Edited By Jyoti,Updated: 12 Jun, 2022 09:14 AM
एक विद्यार्थी बहुत कड़ी मेहनत करता था। रात को देर तक प्रकाश में पढ़ता रहता। अगर तेज नींद लगे तो थोड़ी देर आराम करता फिर पढऩे लग जाता, उसके श्रम को देखकर विद्या की देवी सरस्वती प्रसन्न
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एक विद्यार्थी बहुत कड़ी मेहनत करता था। रात को देर तक प्रकाश में पढ़ता रहता। अगर तेज नींद लगे तो थोड़ी देर आराम करता फिर पढऩे लग जाता, उसके श्रम को देखकर विद्या की देवी सरस्वती प्रसन्न होकर उसके सामने उपस्थित हुईं। विद्यार्थी ने उन्हें प्रणाम किया।
देवी ने पूछा, ‘‘क्या तुमने मुझे पहचान लिया?’’ विद्यार्थी बोला, हां, मैं चिन्हों से पहचान गया हूं कि आप देवी सरस्वती हो। देवी बोली, तुम्हारी लगन और श्रम से मैं बहुत प्रसन्न हूं। तुम्हें सारी विद्याएं देना चाहती हूं। विद्यार्थी ने सिर झुकाकर मना कर दिया, उसने कहा-मां। मुझे नहीं चाहिए, मुझमें अभी पात्रता नहीं है। पात्रता के बिना विद्या लूंगा तो उसका सदुपयोग नहीं होगा। पात्रता साधना और लगन से ही मुझ में आएगी। अपात्रता की स्थिति में ढेर सारी विद्याओं को लेकर मैं उसका अपमान करना नहीं चाहता।
देवी बोलीं-विद्यार्थी मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं। मैं तुम्हें कुछ देना चाहती हूं, बोलो तुम क्या चाहते हो। विद्यार्थी बोला, मां, तुम देना ही चाहती हो तो मुझे वरदान दो कि विद्या प्राप्ति के मार्ग में आने वाले कष्टों से मैं दुखी न होऊं। इससे बड़ा दुनिया में कोई वरदान नहीं है। इस दुनिया में कोई भी प्राणी जन्म ले और उसे कष्ट न हो, यह कभी संभव नहीं हो सकता, समझदारी इसी में है कि अपने कष्टों में विचलित न हुआ जाए।