Muni Shri Tarun Sagar- ...तो मेरा स्वर्ग का सर्टिफिकेट कैंसिल हो जाएगा

Edited By Updated: 22 May, 2021 10:41 AM

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कड़वे प्रवचन...लेकिन सच्चे बोल कुत्ते से कुछ सीखिए भाई साब! मैं आपसे ही कह रहा हूं। कुत्ते को जिस घर से दो रोटी मिलती हैं, वह कुत्ता भी सुबह-शाम उस घर

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कड़वे प्रवचन...लेकिन सच्चे बोल

कुत्ते से कुछ सीखिए
भाई साब! मैं आपसे ही कह रहा हूं। कुत्ते को जिस घर से दो रोटी मिलती हैं, वह कुत्ता भी सुबह-शाम उस घर पर हाजिरी लगाता है और आप? जिस प्रभु की कृपा से आपको जीवन मिला, जीवन में सुख-शांति मिली, उसके दर पर जाना तो दूर, उसे धन्यवाद भी नहीं दे रहे हो! तो सोचिए, अच्छा कौन है? वैसे कुत्ते और इंसान में एक अंतर है-कुत्ता हमेशा अजनबी को देखकर भौंकता है और इंसान परिचित को देखकर भौंकता है।

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कल कभी नहीं आएगा
ज्यादातर व्यक्ति सोचते हैं कि जिंदगी के अंतिम समय में दान-पुण्य कर लेंगे, पर ऐसा सोचना आग लगने पर कुआं खोदने जैसा है। जो भी शुभ करना है आज ही कर लो। आदमी शुभ को कल पर टाल देता है और अशुभ को करने में देर नहीं लगाता। उसे लगता है कि इस गाली का जवाब नहीं दिया तो मेरा स्वर्ग का सर्टिफिकेट कैंसिल हो जाएगा। जिस शुभ को तू कल पर टाल रहा है, वह कल कभी नहीं आएगा। हां! काल जरूर आ जाएगा।

क्रांति के लिए बल नहीं संकल्प चाहिए
समाज में बुराइयां बढ़ रही हैं। क्यों? क्योंकि अच्छे लोग जिम्मेदारी नहीं निभा रहे। अपनी प्रतिष्ठा और नाम को बनाए रखने के लिए अच्छे लोग बुरे लोगों के लिए कुर्सी खाली कर रहे हैं। बुराई का मुकाबला नैतिक साहस के साथ करें। किसी बड़ी क्रांति के लिए शारीरिक बलिष्ठता की नहीं, संकल्प शक्ति की जरूरत है। महात्मा गांधी इसका उदाहरण हैं। बुराई कितनी भी सशक्त हो, उसका अंत संभव है।
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भ्रष्टाचारी को रात को नींद नहीं
भ्रष्टाचार एक अजगर है और अजगर का तकिया लगाकर सोना खतरे से खाली नहीं है। आज आदमी रातों-रात करोड़पति बनना चाहता है, चाहे इसके लिए उसे अपनी आत्मा को ही क्यों न बेचना पड़े। याद रखना : अनीति और अन्याय के रास्ते पर चलकर आदमी रातों रात करोड़पति तो बन सकता है लेकिन उसकी रातों की नींद, दिन का चैन खो जाएगा। पैसे से प्यार करो मगर उसी से जो आपने मेहनत से कमाया है।

संतों के चरण ही नहीं आचरण भी पकड़ें
हम संतों के चरण छूते हैं। इसकी दो वजहें हैं। पहली- उनके चरणों में आचरण हुआ करता है। हम उनके चरण छू कर आचरण की वंदना करते हैं और हम भी उस आचरण के हकदार बनें, ऐसी अभ्यर्चना करते हैं। दूसरी- संतों के चरणों ने सारे तीर्थों की वंदना की है और जब कोई श्रावक संत-चरणों को छूता है तो उसे सारे तीर्थों के वंदन का फल मिल जाता है। संतों के केवल चरण नहीं, आचरण भी पकड़ें।

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