शीतला माता के इस मंदिर में होता है अनोखा चमत्कार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 05:21 PM

mysterious sheetla mata temple history in hindi

देवी मां के पूरे देश भर में बहुत से मंदिर है, जहां मां अलग-अलग रूप में विराजमान है। उन्हीं में से एक मंदिर राजल्थान के पाली जिलें में है। इस मंदिर की एक चमत्कारी बात है जिसके कारण इसकी प्रसद्धि दूर-दूर तक फैली है। राजस्थान के पाली जिले का यग मंदिर...

देवी मां के पूरे देश भर में बहुत से मंदिर है, जहां मां अलग-अलग रूप में विराजमान है। उन्हीं में से एक मंदिर राजल्थान के पाली जिलें में है। इस मंदिर की एक चमत्कारी बात है जिसके कारण इसकी प्रसद्धि दूर-दूर तक फैली है। राजस्थान के पाली जिले का यग मंदिर शीतला मंदिर से जाना जाता है। इस मंदिर में स्तिथ आधा फीट गहरा और इतना ही चौड़ा घड़ा श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खोला जाता है। करीब 800 साल से लगातार साल में केवल दो बार यह घड़ा सामने लाया जाता है। अब तक इसमें 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है। इसको लेकर मान्यता है कि इसमें कितना भी पानी डाला जाए, ये कभी भरता नहीं है। ऐसी भी मान्यता है कि इसका पानी राक्षस पीता है, जिसके चलते ये पानी से कभी नहीं भर पाता है। दिलचस्प बात तो यह है कि वैज्ञानिक भी अब तक इसका कारण नहीं पता कर पाए।


साल में दो बार हटता है पत्थर
ग्रामीणों के अनुसार करीब 800 साल से गांव में यह परंपरा चल रही है। घड़े से पत्थर साल में दो बार हटाया जाता है। पहला शीतला सप्तमी पर और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूनम पर। दोनों मौकों पर गांव की महिलाएं इसमें कलश भर-भरकर हजारो लीटर पानी डालती हैं, लेकिन घड़ा नहीं भरता। फिर अंत में पुजारी प्रचलित मान्यता के तहत माता के चरणों से लगाकर दूध का भोग चढ़ता है तो घड़ा पूरा भर जाता है। दूध का भोग लगाकर इसे बंद कर दिया जाता है। इन दोनों दिन गांव में मेला लगता है।


मान्यता के अनुसार राक्षस पीता है इस घड़े का पानी
ऐसी मान्यता है कि आज से आठ सौ साल पूर्व बाबरा नाम का राक्षस था। इस राक्षस के आतंक से ग्रामीण परेशान थे। यह राक्षस ब्राह्मणों के घर में जब भी किसी की शादी होती तो दूल्हे को मार देता। तब ब्राह्मणों ने मिलकर शीतला माता की तपस्या की। इसके बाद शीतला माता गांव के एक ब्राह्मण के सपने में आई। उसने बताया कि जब उसकी बेटी की शादी होगी तब वह राक्षस को मार देगी। शादी के समय शीतला माता एक छोटी कन्या के रूप में प्रकट हुई। वहां माता ने अपने घुटनों से राक्षस को दबोचकर उसका प्राणांत किया। इस दौरान राक्षस ने शीतला माता से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे प्यास ज्यादा लगती है। इसलिए साल में दो बार उसे पानी पिलाना होगा। शीतला माता ने उसे यह वरदान दे दिया। तभी से यह मेला भरता है।

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