Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Jun, 2023 08:18 AM
यह प्रसंग उस वक्त का है जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंग्लैंड में आई.सी.एस. का इंटरव्यू देने गए थे। वहां उनका इंटरव्यू लेने वाले सभी अधिकारी अंग्रेज थे। दरअसल, वे भारतीयों को किसी उच्च पद
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Netaji Subhas Chandra Bose story: यह प्रसंग उस वक्त का है जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंग्लैंड में आई.सी.एस. का इंटरव्यू देने गए थे। वहां उनका इंटरव्यू लेने वाले सभी अधिकारी अंग्रेज थे। दरअसल, वे भारतीयों को किसी उच्च पद पर नहीं देखना चाहते थे। इसलिए इंटरव्यू में अजीबो-गरीब और कठिन से कठिन प्रश्न पूछकर भारतीयों को नीचा दिखाने का प्रयास करते रहते थे।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

जब नेताजी की बारी आई तो वे साक्षात्कार के लिए अंग्रेज अधिकारियों के समक्ष बैठ गए। एक अधिकारी ने उन्हें देखकर व्यंग्य से मुस्कुराते हुए पूछा, ‘‘बताओ, उस छत के पंखे में कुल कितनी पंखुड़ियां हैं।’’
इस अटपटे प्रशन को सुनकर नेताजी की नजर पंखे पर चली गई। पंखा काफी तेज गति से चल रहा था। तभी दूसरा अंग्रेज बोला, ‘‘यदि तुम पंखुड़ियों की सही संख्या नहीं बता पाए तो इंटरव्यू में फेल हो जाओगे।’’
एक और सदस्य बोला, ‘‘भारतीयों में बुद्धि होती ही कहां है?’’
उनकी बातें सुनकर सुभाष निर्भीकता से बोले, ‘‘अगर मैंने इसका सही जवाब दे दिया तो आप भी मुझसे दूसरा प्रश्न नहीं पूछ पाएंगे और साथ ही मेरे सामने यह भी स्वीकार करेंगे कि भारतीय न सिर्फ बुद्धिमान होते हैं बल्कि वे निर्भीकता और धैर्य से हर प्रश्न का हल खोज लेते हैं।’’ अंग्रेजों ने उनकी बात मान ली और उन्हें उत्तर देने के लिए कहा।
इसके बाद सुभाष ने चलता पंखा बंद कर दिया और पंखा रुकते ही पंखुड़ियों की संख्या गिन ली। इसके बाद पंखुड़ियों की सही संख्या उन्होंने अधिकारियों को बता दी।
सुभाष की विलक्षण बुद्धि, सामयिक सूझबूझ और साहस को देखकर इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों के सिर शर्म से झुक गए। वे फिर उनसे आगे कोई प्रश्न नहीं पूछ पाए।
