Edited By Sarita Thapa,Updated: 08 May, 2025 12:56 PM

George Bernard Shaw story: एक प्रसिद्ध लेखक जॉर्ज बर्नार्ड शॉ को एक महिला ने रात्रि भोज पर निमंत्रित किया। जिस दिन का निमंत्रण था, उस दिन जार्ज बर्नार्ड शॉ की व्यस्तता कुछ ज्यादा ही निकल आई।
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George Bernard Shaw story: एक प्रसिद्ध लेखक जॉर्ज बर्नार्ड शॉ को एक महिला ने रात्रि भोज पर निमंत्रित किया। जिस दिन का निमंत्रण था, उस दिन जार्ज बर्नार्ड शॉ की व्यस्तता कुछ ज्यादा ही निकल आई। निमंत्रण स्वीकार किया है तो जाना तो था ही, इसलिए वह जल्दी-जल्दी काम खत्म करने लगे। जैसे-तैसे सारा काम निपटा कर वह महिला के घर पहुंचे। उन्हें देखते ही उस महिला की आंखें एक बार तो खुशी से चमक उठीं लेकिन अगले ही क्षण उसके चेहरे पर निराशा के भाव आ गए।

दरअसल बर्नार्ड शॉ काम खत्म करके उन्हीं कपड़ों में वहां आ गए थे। महिला की मायूसी का कारण पता चलने पर उन्होंने कहा कि देर हो जाने की वजह से उन्हें कपड़े बदलने का समय नहीं मिला, लेकिन महिला न मानी।
उसने कहा, “आप अभी तुरन्त मोटर गाड़ी में बैठ कर घर जाइए और अच्छे से वस्त्र पहनकर आइए।”, “ठीक है, मैं अभी गया और अभी आया।”

यह कहकर शॉ घर चले गए। जब लौट कर आए तो उन्होंने बहुत कीमती कपड़े पहने हुए थे। थोड़ी देर बाद सबने देखा कि शॉ आइसक्रीम तथा अन्य खाने की चीजों को अपने कपड़ों पर पोत रहे हैं।
यह सब करते हुए शॉ बोल रहे हैं, “खाओ मेरे कपड़ो खाओ। निमंत्रण तुम्हीं को मिला है। तुम ही खाओ।”
“यह आप क्या कर रहे हैं?”
सब बोल पड़े। शॉ ने कहा, “मैं वही कर रहा हूं मित्रो, जो मुझे करना चाहिए। यहां निमंत्रण मुझे नहीं मेरे कपड़ों को मिला है। इसलिए आज का खाना तो मेरे कपड़े ही खाएंगे।”
उनके यह कहते ही पार्टी में सन्नाटा छा गया। निमंत्रण देने वाली महिला की भी शर्मिंदगी की कोई सीमा नहीं रही। बर्नार्ड शॉ की बात का आशय वह समझ चुकी थी कि अच्छे व्यक्ति की परख उसकी प्रतिभा और आचरण से की जानी चाहिए, कपड़ों से नहीं।
