Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 May, 2022 09:04 AM
परम विशिष्ट आध्यात्मिक विभूतियों में से एक योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया (वाई.एस.एस.)/सैल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप (एस. आर. एफ.) के संस्थापक
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Father of yoga: परम विशिष्ट आध्यात्मिक विभूतियों में से एक योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया (वाई.एस.एस.)/सैल्फ रियलाइजेशन फैलोशिप (एस. आर. एफ.) के संस्थापक श्री श्री परमहंस योगानंद जी का जन्म 5 जनवरी, 1893 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। उनके बचपन का नाम मुकुंद लाल घोष था। उनके जन्म के 129 वर्ष बाद आज भी उनकी शिक्षाएं प्रासंगिक हैं।
Paramahansa yogananda meditation: योगानंद जी को पश्चिमी देशों में ‘फादर ऑफ योगा’ कहा जाता है। उनके प्रयासों और कार्यों से आज ‘क्रिया योग’ पूरे संसार में फैल चुका है और उसका विस्तार लगातार हो रहा है। योगानंदजी और उनकी संस्था के सम्मान में भारत सरकार ने सबसे पहले सन् 1977 में और दूसरी बार 7 मार्च, 2017 को डाक टिकट जारी किए।
Paramahansa yogananda teachings: इनकी शिक्षाओं का मुख्य उद्देश्य है विश्व बंधुत्व और मानव एकता के लिए पूर्व एवं पश्चिम की आध्यामिक शिक्षाओं में समानता दर्शाना और पुरातन भारत की वैज्ञानिक ध्यान प्रणालियों को व्यवस्थित रूप से हर मानव के लिए उपलब्ध कराना ताकि यह सत्य सब तक पहुंच सके कि सभी धर्मों के मूल सिद्धांत एक ही विज्ञान से उपजे हैं।
योगानंद जी के गुरु स्वामी श्रीयुक्तेश्वर के बारे में अमरीका के प्रसिद्ध लेखक डब्लू.वाई. इवांस-वेंट्ज ने लिखा है कि, ‘‘श्री युक्तेश्वर जी का स्वभाव कोमल और वाणी मृदु थी। उनकी उपस्थिति सुखद थी। उनका जो कोई भी परिचित, भले ही किसी भी समाज-समुदाय का क्यों न हो, उन्हें अत्यंत आदर की दृष्टि से देखता था।’’
युक्तेश्वर जी ने 1936 ईस्वी में अपना नश्वर शरीर त्याग कर महासमाधि ले ली थी। इन्होंने गुरु महावतार बाबाजी के आदेश से ‘होली साइंस’ (हिंदी-‘कैवल्य दर्शनम’) शीर्षक से एक कालजयी पुस्तक लिखी जिसमें वेदों और बाइबल की तुलना करते हुए अध्यात्म की सार्वभौमिकता को अत्यंत रोचक शैली में बताया गया है।
How did Paramahansa Yogananda died: 1952 में योगानन्द जी के महासमाधि लेने के बाद उनके पार्थिव शरीर में अनेक दिन बाद भी कोई विकृति देखने को नहीं मिली थी, जिससे ‘फारेस्ट लान मैमोरियल’ (जहां उनका पार्थिव शरीर रखा गया था) के अधिकारी चकित रह गए थे।
भगवद् गीता में श्री कृष्ण ने जिस ‘क्रिया योग’ की दीक्षा अर्जुन को दी थी, अमरगुरु महावतार बाबा जी की योजना के अनुसार भारत के इस ज्ञान का पाश्चात्य देशों में प्रचार-प्रसार करने के लिए परमहंस योगानंद जी को चुना गया था।
सभी मानव आनंद और शांति को प्राप्त करें। विश्व मानव को यह ज्ञात हो जाए कि सारे मानवीय दुखों को मिटा देने के लिए आत्म ज्ञान की निश्चित वैज्ञानिक विधि अस्तित्व में है - वह है ‘क्रिया योग’।