Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Aug, 2025 02:00 PM

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन में यदि वैदिक मंत्रों के साथ रक्षासूत्र बांधा जाए तो वह केवल भावनात्मक नहीं बल्कि आध्यात्मिक कवच बन जाता है। शास्त्रों के अनुसार वैदिक मन्त्रों से अभिमंत्रित व कुछ वैदिक उपचारों से ऊर्जावान बनाए गए सूत्रों को धारण करने...
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Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन में यदि वैदिक मंत्रों के साथ रक्षासूत्र बांधा जाए तो वह केवल भावनात्मक नहीं बल्कि आध्यात्मिक कवच बन जाता है। शास्त्रों के अनुसार वैदिक मन्त्रों से अभिमंत्रित व कुछ वैदिक उपचारों से ऊर्जावान बनाए गए सूत्रों को धारण करने से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं से रक्षा होती है और व्याधियां एवं दरिद्रता दूर होती हैं। रक्षा बंधन का त्यौहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है इसलिए इसे सावनी या सूलनो भी कहते हैं। रक्षा बंधन का त्यौहार बहन-भाई के रिश्ते को सदा जीवित रखता है और प्रेम में बांधे रखता है। यह एक दूसरे के प्रति प्यार, विश्चास, आशा और बलिदान को जाग्रत करता है। बहन अपने भाई के लिए सदा मंगल कामना करती है व भाई-बहन के लिए रक्षा के वायदे करता है।

Rakhi bandhne mantra: मंत्रों का उच्चारण विशेष आवृत्ति की तरंगों को पैदा करता है, जो अपने संपर्क में आने वाली सभी चीजों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। जब रक्षा सूत्र बांधा जाता है तो यह मंत्र उच्चारित किया जाता है -

" ॐ एन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वा मनुबधनानि रक्षे माचल माचल "

अर्थात - जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षा बन्धन से मैं तुम्हें बांधती हूं जो तुम्हारी रक्षा करेगा।

क्या न करें रक्षाबंधन के दिन
रक्षासूत्र को बिना पूजा या मंत्र के न बांधें।
मन में द्वेष या उपेक्षा रखकर बंधन न करें।
केवल औपचारिकता समझकर इसे न निभाएं, यह ऊर्जावान संस्कार है।
