Rang Panchami: कब मनाया जाएगा रंग पंचमी का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Mar, 2024 08:33 AM

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होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह होली का रूप ही होती है। इस दिन होली का समापन किया जाता है। इसे देव पंचमी और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि

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Rang Panchami 2024: होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह होली का रूप ही होती है। इस दिन होली का समापन किया जाता है। इसे देव पंचमी और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन सभी देवी-देवता धरती पर आकर रंग गुलाल से होली का त्योहार मनाते हैं। रंग पंचमी का त्योहार मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में अधिक लोकप्रिय है। इस साल रंग पंचमी का त्यौहार 30 मार्च, 2024 को मनाई जाएगी। होलिका दहन से होली की शुरुआत होती है और रंग पंचमी के दिन इसका समापन होता है। आइए जानते हैं इस साल 2024 में रंग पंचमी के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।

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Rang Panchami 2024 auspicious time रंग पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 29 मार्च 2024 को रात 08 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी और समाप्ति 30 मार्च 2024 को रात 09 बजकर 13 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार होली 30 मार्च शनिवार को मनाई जाएगी।

देवताओं के साथ होली खेलने का समय सुबह 07 बजकर 46 मिनट से सुबह 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।

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Importance of Rang Panchami रंग पंचमी का महत्व
माना जाता है कि रंग पंचमी के दिन श्री कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी। यह भी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर होली खेलते हैं और हवा में रंग और गुलाल उड़ाते है। इस दिन हवा में उड़ाया गया गुलाल या रंग जिस भी व्यक्ति के ऊपर पड़ता है। उस पर भगवान की विशेष कृपा बरसती है। रंग पंचमी के दिन देवी-देवताओं को रंग और गुलाल अर्पित करने से कुंडली के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। यह पावन पर्व पंच तत्व जैसे पृथ्वी, अग्नि, वायु, जल एवं आकाश को सक्रिय करने के लिए मनाया जाता है।

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Rang Panchami puja method रंग पंचमी पूजा विधि
रंग पंचमी के दिन अपने घर की उत्तर दिशा में लक्ष्मी नारायण की मूर्ति स्थापित करें और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
इसके बाद लक्ष्मी नारायण को लाल गुलाब अर्पित करें।
फिर लक्ष्मी नारायण के मंत्रों का जाप करें और उन्हें गुड़ और चीनी का भोग लगाएं।
अंत में दोनों की आरती करके उन्हें गुलाल चढ़ाएं।

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