Kundli Tv- किससे डरकर इस पेड़ के पीछे छिपे थे कामदेव, क्या है इसका रहस्य

Edited By Jyoti,Updated: 20 Aug, 2018 12:41 PM

religious place of kameshwar dham

हिंदू धर्म में एेसे कईं पुराण और शास्त्र हैं, जिनकी मदद से इंसान हर तरह का ज्ञान प्राप्त कर सकता है। इनमें से एक है शिव पुराण जिसमें एेसी कई कथाएं वर्णित हैं जिनका सीधा संबंध भगवान शंकर से है।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
हिंदू धर्म में एेसे कईं पुराण और शास्त्र हैं, जिनकी मदद से इंसान हर तरह का ज्ञान प्राप्त कर सकता है। इनमें से एक है शिव पुराण जिसमें एेसी कई कथाएं वर्णित हैं जिनका सीधा संबंध भगवान शंकर से है। आज हम आपको शिव पुराण में बताई गई एक एेसी ही कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भोलेनाथ और कामदेव से जुड़ी हुई है।
PunjabKesari
भगवान शंकर ने अपने तीसरे नेत्र की अग्नि से कामदेव को भस्म किया था, इस बारे में तो सब जानते ही हैं, लेकिन शायद ही किसी को पता होगा कि आख़िर शिवजी ने कामदेव को किस जगह भस्म किया था। तो आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले में स्थित कामेश्वर धाम वहीं स्थान है जहां क्रोधवश भोलेनाथ ने कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया था। यही कारण है कि इस स्थान का नाम कामेश्वर पड़ा। दूर-दूर से भोलेनाथ के भक्त यहां इनके दर्शनों को आते हैं। इतना ही नहीं यह स्थान यहां के लोगों के लिए आस्था का मुख्य केंद्र है।
PunjabKesari
क्यों शिवजी ने किया था कामदेव को भस्म
पिता द्वारा पति के अपमान को सहन न कर पाई भगवान शंकर की अर्धांगिनी ने हवन कुंड में अपने आप को जलाकर भस्म कर लिया था। जिसके बाद से भगवान शंकर क्रोधित होकर समस्त जगत को नष्ट करने पर आ गए थे। विष्णु सहित सभी देवों की की विनती पर परमशांति के लिए गंगा और तमसा नदी के संगम पर समाधि लेते हैं। यहीं माता सती पार्वती के रूप में पुर्नजन्म लेकर शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या करती हैं। 
PunjabKesari
पार्वती की तपस्या से खुश होकर वह उनसे विवाह तो कर लेते हैं लेकिन किंतु उनके मन में पार्वती के लिए मोह या प्रेम की भावना नहीं आती। उधर राक्षस तारकासुर ब्रह्माजी की तपस्या कर उनसे वर मांग लेता है कि उसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र ही कर सकता है। वरदान मिलते ही वह स्वर्ग पर आधिपत्य का प्रयास करने लगता है और सभी देवताओं को तंग करने लगता है। राक्षस का वध करने के लिए शिव और पार्वती का मिलन कराना बहुत जरूरी था।
PunjabKesari
जिस वजह से सभी देवता कामदेव को अपना सेनापति नियुक्त करते हैं और भगवान शिव की तपस्या भंग करने का काम सौंपते हैं। कामदेव तपस्या में लीन शिव के ऊपर पुष्पबाण चलाते हैं जिससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और क्रोध के कारण उनका तीसरा नेत्र खुल जाता है, नेत्र की अग्नि से आम के वृक्ष के पीछे छिपे कामदेव जलकर भस्म हो जाते हैं।
PunjabKesari
शिव पुराण में वर्णित इस कथा के साक्ष्य के तौर पर आज भी कामेश्वर धाम में यह आम का आधा जला हुआ पेड़ देख सकते हैं, जिसके पीछे कामदेव छिपे थे और जलकर भस्म हो गए थे। एक अजेय वृक्ष की तरह यह पेड़ आज भी खड़ा है। इसके अलावा कालांतर में यह पेड़ कई राजाओं और मुनियों की तपस्थली रहा है यह कामेश्वर धाम। वाल्मिकी रामायण के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम और लक्ष्मण महर्षि विश्वामित्र के साथ यहां आए थे।
घर में टपकते पानी से होगा ये नुकसान ! (देखें VIDEO)

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!