Rishi Panchami 2025: इस दिन मनाई जाएगी ऋषि पंचमी, जानें महत्व और विधि

Edited By Updated: 17 Aug, 2025 06:35 AM

rishi panchami 2025

Rishi Panchami 2025: ऋषि पंचमी हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि सप्तर्षियों की पूजा और स्त्रियों द्वारा अपने जीवन में जाने-अनजाने हुए दोषों के प्रायश्चित के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

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Rishi Panchami 2025: ऋषि पंचमी हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि सप्तर्षियों की पूजा और स्त्रियों द्वारा अपने जीवन में जाने-अनजाने हुए दोषों के प्रायश्चित के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। 2025 में ऋषि पंचमी का व्रत 28 अगस्त को रखा जाएगा।  ऋषि पंचमी व्रत स्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत जीवन में हुई रजस्वला दोष, अशुद्धता, और अज्ञानवश किए गए शारीरिक व मानसिक अपराधों के प्रायश्चित हेतु किया जाता है। यह व्रत व्यक्ति को पवित्रता, संयम, और आत्मिक शुद्धता की ओर प्रेरित करता है। ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ का पूजन किया जाता है।

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ऋषि पंचमी व्रत की पूजा विधि Puja Vidhi

सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। यह व्रत स्त्रियों द्वारा विशेष रूप से किया जाता है लेकिन पुरुष भी कर सकते हैं।

सप्तऋषियों की मिट्टी की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें। उन्हें धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली और नैवेद्य अर्पित करें।

व्रत के दिन भोजन में केवल सात्विक और शुद्ध भोजन का सेवन करें। कई स्थानों पर यह व्रत पूरी तरह उपवास के रूप में भी किया जाता है।

पूजन के बाद ऋषि पंचमी की व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।

व्रत के समापन पर ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना शुभ माना जाता है।

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Benefits of Rishi Panchami Vrat व्रत से मिलने वाला फल 
ऋषि पंचमी का व्रत करने से व्यक्ति को शुद्धता की प्राप्ति होती है, और पूर्व जन्म या इस जन्म के जाने-अनजाने दोषों का शमन होता है। विशेष रूप से महिलाओं को यह व्रत जीवन में धार्मिक अनुशासन, सामाजिक मर्यादा और शारीरिक शुद्धता बनाए रखने की प्रेरणा देता है। यह व्रत विशेषकर उन महिलाओं के लिए महत्व रखता है जिन्होंने मासिक धर्म की अवधि में जाने-अनजाने धार्मिक कार्य किए हों। कुछ परंपराओं में इसे गृहिणी व्रत भी माना जाता है जो स्त्रियों को जीवन के सभी कर्तव्यों के प्रति सजग रहने की प्रेरणा देता है। यह दिन ऋषियों के ऋण से मुक्त होने का भी प्रतीक माना जाता है।

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