...तो इस तरह नदियों को मिला ‘नया जीवन’

Edited By Jyoti,Updated: 11 Aug, 2021 03:42 PM

rivers of india got  new life

महाराष्ट्र में अग्रणी नदी की घाटी सांगली जिला के 107 गांवों तथा 5 तालुका-खानापुर, तासगांव, कावटे महाकाल, जाठ तथा मिराज में फैली है। नदी की कुल लंबाई 60 कि.मी. है, जिसमें से 48

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महाराष्ट्र में अग्रणी नदी की घाटी सांगली जिला के 107 गांवों तथा 5 तालुका-खानापुर, तासगांव, कावटे महाकाल, जाठ तथा मिराज में फैली है। नदी की कुल लंबाई 60 कि.मी. है, जिसमें से 48 कि.मी. को ठीक किया गया है। इस प्रयास के लिए, दूसरे राष्ट्रीय जल अवार्ड की नदी पुनर्जीवन श्रेणी में वैस्ट जोन में सर्वश्रेष्ठ जिले का दूसरा पुरस्कार दिया गया है।

अग्रणी नदी को पुनर्जीवित करने से पूर्व सांगली जिला के सभी गांवों में स्थिति बड़ी विकट थी क्योंकि क्षेत्र को पीने, कृषि तथा पशु चराने के लिए पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा था। प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आ गई थी, जिस कारण नौकरियां ढूंढने के लिए लोगों को प्रवास करने हेतु मजबूर होना पड़ा।

स्थिति के समाधान हेतु अग्रणी नदी को पुनर्जीवित करने का काम जिला प्रशासन ने अपने हाथ में लिया, जिसके अंतर्गत पानी को रोके रखने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा नदी के साथ-साथ करीब 40 निर्माण किए गए। इसके अतिरिक्त कृषि विभाग द्वारा खेतों में 223 तालाबों के निमाण का कार्य पूरा किया गया। इसके साथ ही नदी के दोनों तरफ 32000 पेड़ लगाए गए, जिनमें से 6000 केसर आम के पौधे थे। इससे मिट्टी के क्षरण में उल्लेखनीय रूप से कमी आई। मिश्रित कृषि की नई तकनीकें लागू की गईं तथा नदी के साथ बसते लोगों को वर्षा के अनुरूप फसल चक्र अपनाने के लिए जागरूक किया गया। इन कदमों ने पानी की स्थिति के सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले में बहती कोवसिका नदी का क्षरण दिखाता है कि कैसे अधिक पानी ग्रहण करने वाली फसलों ने देश के जल स्रोतों पर विपरीत असर डाला है। पश्चिमी घाट से शुरू होने वाली नोय्यल नदी की सहायक नदी कोवसिका में प्रचुर मात्रा में पानी का बहाव था, जब तक कि धान, गन्ना, केला आदि फसलों का खेती नहीं शुरू हो गई जिन्होंने ङ्क्षचताजनक स्तर  तक नदी को सुखा दिया।

नदी में पानी इस स्तर तक सिकुड़ गया कि इसके आसपास के खुले कुएं तथा बोरवैल सूख गए। इस स्थिति का समाधान करने के लिए पानी की कमी वाले 4 ब्लॉकों में मनरेगा के अंतर्गत कोवसिका तथा इसकी सहायक नदियों के नदीतल में कई वर्षा जल संग्रहण ढांचों का निर्माण किया गया। रिचार्ज कुओं, जल जमा करने वाले ढांचों का निर्माण शुरू किया गया। इन कार्यों का इतना प्रभाव पड़ा कि सूखे एवं त्याग दिए गए कृषि उद्देश्य के लिए बनाए गए कुएं फिर पानी से भर गए हैं।   
 

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