Edited By Lata,Updated: 15 Dec, 2019 08:32 AM
हिंदू धर्म में बहुत से ऐसे बहुत से व्रत और त्योहार शामिल हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे।
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हिंदू धर्म में बहुत से ऐसे बहुत से व्रत और त्योहार शामिल हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। उन्हीं में से एक है संकष्टी चतुर्थी का व्रत और ये व्रत भगवान गणेश जी की पूजा का दिन होता है। बहुत से लोग इस दिन गणपति जी का व्रत भी करते हैं। मान्यता है कि किसी भी शुभ काम की शुरुआत अगर भगवान गणेश के नाम के साथ हो तो व्यक्ति के सारे काम पूरे होते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन इनकी पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आज हम आपको इस खास दिन पर इस व्रत की पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
पूजा विधि
इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं। जो लोग व्रत करना चाहते हैं वे साफ़ और धुले हुए कपड़े पहन लें। कोशिश करें कि इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है।
स्नान के बाद गणपति की पूजा की शुरुआत करें। गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।गणेश जी की पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पाप, धुप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें। ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें, ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें और साथ ही भगवान को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।
पूजा के बाद आप फल, मूंगफली, खीर, दूध या साबूदाने को छोड़कर कुछ भी न खाएं। बहुत से लोग व्रत वाले दिन सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं लेकिन आप सेंधा नमक नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करें।
शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें।
रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।