श्रावण पुत्रदा एकादशी: चाहते हैं श्री कृष्ण जैसी उत्तम संतान तो करें इन मंत्रों का जाप

Edited By Updated: 07 Aug, 2022 02:29 PM

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08 अगस्त दिन सोमवार को श्रावण मास में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी पड़ रही है, जिसके उपलक्ष्य में श्री हरि का पूजन तो किया ही जाएगा। परंतु साथ ही साथ इस वर्ष के श्रावण मास का आखिरी सोमवार होने के चलते शिव भक्त शिव जी को प्रसन्न करने में जुटे दिखाई...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
08 अगस्त दिन सोमवार को श्रावण मास में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी पड़ रही है, जिसके उपलक्ष्य में श्री हरि का पूजन तो किया ही जाएगा। परंतु साथ ही साथ इस वर्ष के श्रावण मास का आखिरी सोमवार होने के चलते शिव भक्त शिव जी को प्रसन्न करने में जुटे दिखाई देंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में पड़ने वाली एकादशी के दिन न केवल श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि इस दिन शिव व माता पार्वती भी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। बता दें श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी  तिथि को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्म पुराण में इस एकादशी को समस्त सांसरिक सुखों की प्राप्ति के लिहाज़ से सबसे उत्म माना जाता है। तो वही ज्योतिष शास्त्र में किए वर्णन के मुताबिक इस एकादशी के व्रत शुभ प्रभाव के चलते योग्य पुत्र की प्राप्ति होती है।
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श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी को लेकर प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस दंपत्ति को संतान व पुत्र सुख की प्राप्ति न हो रही हो, उन्हें इस एकादशी इसकी प्राप्ति के लिए इस व्रत को जरूर करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी व्रत को करने से श्री कृष्ण से उनके जैसी उत्तम संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

कहा जाता मां बाप के लिए संतान का सुख संसार के समस्त सुखों में से सबसे बड़ा सुख माना जाता है, लेकिन कई बार कुछ कारणों के चलते कई बार लोग इस सुख से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में इन लोगों के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत उम्मीद के सूरज के समान माना जाता। कहा जाता है सावन की पुत्रदा एकादशी पर अगर उत्तम नियम से व्रत किया जाए तो इसके प्रभाव से निश्चित ही संतान प्राप्ति होती है।

यहां जानिए पुत्रदा एकादशी व्रत से जुड़े नियम-
ज्योतिष के अनुसार यह व्रत निर्जला व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत तीनों प्रकार का रखा जाता है।  

सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए। 

अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए। 

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बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन करें और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए श्री कृष्ण या नारायण की उपासना करें।

प्रातः काल दंपत्ति संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करें, उन्हें पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करे, संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।
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मंत्र-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।

इसके अतिरिक्त इन मंत्रों का करें जप- 
पुत्रदा एकादशी को करें इन मंत्र का जप

ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते,
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता।

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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विष्णु जी के बीज मंत्र

ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।


ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।


या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥

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