Edited By Jyoti,Updated: 04 Dec, 2021 03:01 PM
आज यानि 04 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि है, जिसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यूं तो हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या तिथि का खास महत्व होता है परंतु मार्गशीर्ष
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आज यानि 04 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि है, जिसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। यूं तो हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या तिथि का खास महत्व होता है परंतु मार्गशीर्ष मास की अमावस्या विशेष मानी जाती है। चूंकि इसके बाद से अगहन मास का आरंभ हो जाता है, इसलिए इस अमावस्या तिथि को अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना चाहता है। चूंकि इस बार ये अमावस्या तिथि शनिवार के दिन पड़ रही है इसलिए इस दौरान शनि देव की पूजा करना अति लाभदायक माना जा रहा है। इसी के चलते इस दिन को शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि के कुप्रभावों और दृष्टि से बचने के लिए शनैश्चरी अमावस्या का दिन बेहद शुभ होता है। इस दिन साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि जुड़े कष्टों से मुक्ति पाने का उत्तम दिन होता है। इस दिन शनि देव का विशेष पूजन करने सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
यहां जानिए शनि अमावस्या की पूजन विधि-
यूं करें शनिदेव की पूजा
एक लकड़ी के पाटे पर काले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर शनि देव की प्रतिमा, यंत्र और सुपारी स्थापित करें।
इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
शनि देव पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुमकुम, काजल लगाकर नीले फूल अर्पित करें।
इसके बाद तेल में तली हुई पूड़ी और अन्य चीजों का भोग शनि देव को लगाएं।
साथ ही, फल भी अर्पित करें।
इसके बाद 5, 7, 11 या 21 बार शनि मंत्र का जाप करें और शनि चालीसा का पाठ करें।
अंत में शनि देव की आरती करें।
मंदिर में जलाएं दीपक
किसी भी शनि मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा के समक्ष सरसों के तेल का दीपक और सरसों के तेल के बने मिष्ठान अर्पित करें।
पीपल के नीचे भी एक सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं।
शनि अमावस्या के दिन काले तिल, काली उड़द, काला कपड़ा, लोहे की कोई चीज और सरसों का तेल आदि सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद या गरीबों को दान करें।
शनि स्तोत्र का पाठ करें। शनि मंत्र या शनि चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
ज्योतिष मान्यता है कि ऐसा करने से शनि की महादशा के कष्ट कम होते हैं और शनि देव की कृपा मिलती है।