Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Apr, 2018 01:46 PM
नवग्रहों में एकमात्र शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है। वह हर व्यक्ति को कर्मों के अनुसार शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। जब किसी व्यक्ति पर साढ़ेसाती व ढय्या का प्रभाव होता है, उस समय उसे खास उपाय करने की सलाह दी जाती है।
नवग्रहों में एकमात्र शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है। वह हर व्यक्ति को कर्मों के अनुसार शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। जब किसी व्यक्ति पर साढ़ेसाती व ढय्या का प्रभाव होता है, उस समय उसे खास उपाय करने की सलाह दी जाती है। कई बार व्यक्ति आर्थिक रूप से इतना सशक्त नहीं होता की वह महंगे उपाय कर सके। ऐसे में शनिदेव की पत्नियां लगाएंगी बेड़ा पार, करें उनके नामों का जाप। शनि देव की 8 पत्नियां मानी गई हैं- ध्वजिनी, धामिनी, कंकाली, कलहप्रिया, कंटकी, तुरंगी, महिषी, अजा। इस तरह करें उनके नामों का जाप-
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखम।।
वैसे तो ये नाम जाप प्रतिदिन करना चाहिए। संभव न हो तो शनिवार के दिन जरूर करें। वर्तमान समय में धनु, वृषभ और कन्या पर शनि की ढय्या का असर है। वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है।
शनिदेव की कृपा किसी जातक पर हो जाए तो उसे विजय, धन, काम सुख और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। शनि संबंधी चिंताओं का निवारण करने में शनि मंत्र विशेष रूप से शुभ देते हैं। शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनि जी के स्वरूप को सरसों अथवा तिल का तेल, काले तिल, काले वस्त्र, उड़द की दाल, फूल व तेल से बनी मिठाई या पकवान समर्पित करते हुए लक्ष्मी की कामना से नीचे लिखे शनि मंत्रों का स्मरण करें -
ॐ धनदाय नम:
ॐ मन्दाय नम:
ॐ मन्दचेष्टाय नम:
ॐ क्रूराय नम:
ॐ भानुपुत्राय नम: