शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्माचारिणी की पूजा, जानें शास्त्रीय विधि अनुसार पूरी जानकारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Oct, 2023 10:25 AM

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शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से हो चुकी है। पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के बाद 16 अक्टूबर यानी आज सोमवार को शारदीय नवरात्र का दूसरा

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Shardiya Navratri 2nd Day 2023: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से हो चुकी है। पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा-अर्चना के बाद 16 अक्टूबर यानी आज सोमवार को शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। आज के दिन माता की पूजा-अर्चना करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ही कई तरह की शक्तियां मिलती हैं। माता ब्रह्मचारिणी के के नाम में ब्रह्मा का अर्थ तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण से है। इसका पूर्ण अर्थ तप का आचरण करने वाली माता शक्ति मां ब्रह्मचारिणी से है। माता की पूजा-अर्चना और आराधन करने से व्यक्ति को तप, त्याग और संयम की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, आज माता ब्रह्माचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, मंत्र, कथा और भोग प्रसाद

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Method of worship of Mata Brahmacharini माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
शारदीय नवरात्रा का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस दिन माता की पूजा पूरे विधि-विधान से करने पर माता कृपा करती हैं। पूजा में कोई गलती न हो, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सुबह उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। माता को अक्षत, चंदन और रोली चढ़ाएं। माता रानी को कमल और गुड़हल के फूल बहुत ही प्रिय हैं इसलिए माता को ये फूल जरूर अर्पित करें। इस से माता रानी प्रसन्न होती हैं। कलश देवता और नवग्रह मंत्र की विधिवत पूजा करें। माता की आरती घी के दीपक और कपूर से करें। माता के मंत्रों का जाप जरूर करें।

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Chant these mantras of Maa Brahmacharini माता ब्रह्मचारिणी के इन मंत्रों का करें जप

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दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिणीय नमः। ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।।

Offer this to Maa Brahmacharini मां ब्रह्मचारिणी को लगाएं ये भोग
मां ब्रह्मचारिणी को दूध से बनी मिठाईयां बेहद प्रिय हैं। माता को दूध से बनी मिठाईयों के अलावा फलों में केले आदि का भोग लगाएं। इससे माता ब्रह्मचारिणी प्रसन्न होती हैं। माता रानी अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के साथ ही कृपा करती हैं। माता की कृपा पाते ही व्यक्ति के हर कष्ट नष्ट हो जाते हैं।

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Maa Brahmacharini katha मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर में पुत्री के रूप जन्म लिया था। यहां देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी। इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें माता को तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। कथा के अनुसार, एक हज़ार वर्षों तक माता ने सिर्फ फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था। कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे। कई हज़ार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो उठा, उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मैना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज़ दी उमा, तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया। उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे।

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Akashvani informed about the result of penance आकाशवाणी ने दी तपस्या फलित की सूचना
अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें संबोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा- देवी ! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की है। तुम्हारे इस कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही है। तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी। भगवान चंद्रमौलि शिव जी तुम्हें पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे। अब तुम तपस्या से विरक्त होकर घर लौट जाओ। शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं। इसके बाद माता घर लौट आएं और कुछ दिनों बाद ब्रह्मा के लेख के अनुसार उनका विवाह महादेव शिव के साथ हो गया।

पंडित सुधांशु तिवारी
(एस्ट्रोलॉजर/ज्योतिषचार्य)

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