देवी मां की पूजा के दौरान इन Vastu Tips का रखना चाहिए ध्यान!

Edited By Updated: 12 Oct, 2021 05:37 PM

shardiya navratri 2021

शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है, इस बीच हर कोई माता को प्रस्न करने में जुटा रहता है। कोई धार्मिक शास्त्रों में दिए गए उपायों आदि को अपनाता, कोई ज्योतिष शास्त्र तो कोई वास्तु शास्त्र में वर्णित खास

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शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है, इस बीच हर कोई माता को प्रस्न करने में जुटा रहता है। कोई धार्मिक शास्त्रों में दिए गए उपायों आदि को अपनाता, कोई ज्योतिष शास्त्र तो कोई वास्तु शास्त्र में वर्णित खास बातों को अपनाकर देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के प्रयास करता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि वास्तु शास्त्र में बताए गए कुछ टिप्स जो न केवल नवरात्रों के दौरान अपनाए जा सकते हैं, बल्कि सनातन धर्म में होने वाली प्रत्येक पूजा में उपयोग करने से लाभ प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं कौन से हैं ये खास उपाय- 

दरअसल आज हम बात करने जा रहे हैं प्रसाद व नैवेद्द की-
जैसे कि आज कल हर घर में देवी को प्रसाद चढ़ाया जाता है लेकिन इस प्रसाद को क्या करना चाहिए- खाना चाहिए, फेकना चाहिए, पड़ा रहने देना चाहिए, किस बर्तन में प्रसाद चढ़ाना चाहिए  इन सब चीजों का घर पर सीधा प्रभाव पड़ता है तो नोट करिए-नैवेद्द को धातु यानि सोने, चांदी या ताम्बे के, पत्थर, यज्ञीय लकड़ी या मिट्टी के पात्र में चढ़ाना चाहिए वास्तु शास्त्र में आज की चर्चा है देवों के अष्टगंध और उन्हें लगाने की उंगलियों की। ध्यान रहे कि अष्टगंध ख़ास किस्म के केमिकल हैं और लगाए जाने पर एक ख़ास ऐटिट्यूड जनरेट करते हैं, जो हमारे विचारों-बायोक्लॉक और घर की कलेक्टिव क्लॉक यानि वास्तु को प्रभावित करते हैं और हाथों की उंगलियों में कौन सी शक्ति हमारे पुरखों ने पहचानी थी। इसका वर्तमान रूप रेकी, औरा और प्राणिक होलिंग के तौर पर समझा जा सकता है। तो देवी गंधाष्टक नोट कर लें- चन्दन, अगर, कपूर, ग्रंथिपर्ण केसर, गोरोचन, जटामासी और लोहबान। साथ ही यह भी कि अनामिका उंगली से देवों और ऋषियों को, तर्जनी से पितरों को और स्वयं मध्यमा ऊँगली से गंधानुलेवन करना चाहिए ।      

अब जानते हैं पूजा आदि के अलावा होने वाली खासरूप से हवन आदि में होने वाली सामग्री के बारे में- 
यज्ञ, होम यानि हवन अग्नि तत्व है, उसमें कुछ भी जलाए जाने का सीधा असर घर की वाइब्रेशन पर, घर के वास्तु पर होता है। आज कल सामान्यतया लोग बाजार से हवन सामग्री लाते हैं। बेहतर हो कि आप तिल, जौ, गुग्गुल आदि खरीद कर उसमे हवन करें। तो नोट करें जौ के मुकाबले तिल-दो गुना होना चाहिए। अन्य चिकनी और सुगंध की सामग्री जौ के बराबर होनी चाहिए । इसी तरह अलग-अलग चीजों की आहुति का भी अलग-अलग प्रमाण होता है। ये सब इसलिए कि चीजों को एक निश्चित मात्रा में मिलाने से ही उनका प्रापर कैमिकल रिकेशन होता है । इसी से घर का वास्तु पॉजिटिव प्रभावित होता है। 

इसके अतिरिक्त वास्तु शास्त्र में देवों के अष्टगंध और उन्हें लगाने के लिए जिन उंगलियों का उपयोग किया जाता है उसके बारे में भी बताया गया-
वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि अष्टगंध ख़ास किस्म के केमिकल हैं और लगाए जाने पर एक ख़ास ऐटिट्यूड जनरेट करते हैं जो हमारे विचारों-बायोक्लॉक और घर की कलेक्टिव क्लॉक यानि वास्तु को प्रभावित करते हैं और हाथों की उंगलियों में कौन सी शक्ति हमारे पुरखों ने पहचानी थी उसका वर्तमान रूप रेकी, औरा और प्राणिक होलिंग के तौर पर समझा जा सकता है। बता दें देवी गंधाष्टक हैं- चन्दन, अगर, कपूर, ग्रंथिपर्ण केसर, गोरोचन, जटामासी और लोहबान। बताया जाता है कि अनामिका उंगली से देवों और ऋषियों को, तर्जनी से पितरों को और स्वयं मध्यमा ऊँगली से गंधानुलेवन करना चाहिए।  
  

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