Edited By Prachi Sharma,Updated: 31 Aug, 2025 07:00 AM

स्वामी विवेकानंद को व्यायाम का बड़ा शौक था। उनके चेहरे पर एक तेज था जो सहज ही सबको अपनी ओर आकर्षित करता था। एक दिन वह अपने मित्रों के साथ व्यायाम कर रहे थे। वहां एक अंग्रेज भी था। जिससे किसी बात पर उनका विवाद हो गया। विवाद बढ़ता गया और गुस्से में वह...
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Swami Vivekananda Story: स्वामी विवेकानंद को व्यायाम का बड़ा शौक था। उनके चेहरे पर एक तेज था जो सहज ही सबको अपनी ओर आकर्षित करता था। एक दिन वह अपने मित्रों के साथ व्यायाम कर रहे थे। वहां एक अंग्रेज भी था। जिससे किसी बात पर उनका विवाद हो गया। विवाद बढ़ता गया और गुस्से में वह अंग्रेज हाथापाई पर उतर आया। उसने विवेकानंद पर हमला कर दिया। बचने की कोशिश में विवेकानंद का हाथ व्यायामशाला के एक खंभे पर जा लगा और वह खंभा सीधे उस अंग्रेज के सिर पर गिरा।
खंभा सिर पर गिरने से वह बेहोश हो गया। उसके सिर से खून बहने लगा। अंग्रेज के सिर से खून बहता देख विवेकानंद के शभी मित्र घबरा गए और वहां से भाग निकले लेकिन विवेकानंद वहीं रहे। अंग्रेज की हालत देख वह उसकी सेवा में लग गए। पास से पानी लाकर उन्होंने उसकी चोट को साफ किया। वह चोट पर पट्टी बांधने के लिए इधर-उधर देखने लगे। जब उन्हें उस अंग्रेज के सिर पर बांधने के लिए कुछ नहीं मिला तो उनका ध्यान अपने कुर्ते पर गया।
उन्होंने तुरंत अपना कुर्ता फाड़ा और उसके सिर पर कसकर पट्टी बांध दी जिससे खून बहना बंद हो गया। इसके बाद उन्होंने उस अंग्रेज की आंखों पर पानी के छींटे मारे। धीरे-धीरे उसे होश आया। वह यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि स्वामी विवेकानंद उसे छोड़कर भागे नहीं बल्कि उन्होंने ही उसकी मरहम पट्टी की। उस दिन के बाद से वह अंग्रेज उनका मित्र बन गया। विवेकानंद के व्यवहार ने उसे पूरी तरह बदल दिया। अब वह अहिंसा के मार्ग पर चलने लगा। वह अक्सर कहता, “स्वामी विवेकानंद ने मुझे अहिंसा का पाठ पढ़ाया है। मैं इस पाठ को आजीवन याद रखूंगा।”