Varaha Jayanti upay: जीवन में दुख ज्यादा हैं तो वराह जयंती पर करें ये उपाय

Edited By Updated: 23 Aug, 2025 06:34 AM

varaha jayanti upay

Varah Jayanti 2025: वराह जयंती का दिन सुरक्षा और स्थिरता का प्रतीक है। यह दिन बताता है कि जब धर्म संकट में पड़ता है, तब ईश्वर स्वयं रक्षा करते हैं। वराह अवतार सीधे पृथ्वी से जुड़े हैं इसलिए यह पर्व हमें भूमि, प्रकृति और जीवनदायिनी धरती का सम्मान...

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Varah Jayanti 2025: वराह जयंती का दिन सुरक्षा और स्थिरता का प्रतीक है। यह दिन बताता है कि जब धर्म संकट में पड़ता है, तब ईश्वर स्वयं रक्षा करते हैं। वराह अवतार सीधे पृथ्वी से जुड़े हैं इसलिए यह पर्व हमें भूमि, प्रकृति और जीवनदायिनी धरती का सम्मान करना सिखाता है। भूमि और पर्यावरण की पूजा के लिए यह दिन खास है। वराह जयंती पर मिलता है कर्म और धर्म का संदेश। यह दिन याद दिलाता है कि अधर्म चाहे कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः सत्य की विजय निश्चित है। भगवान विष्णु ने ऋषि कश्यप और दैत्य माता दिति के पुत्र हिरण्याक्ष का वध करने के लिए वराह आवतार लिया था। वराह अवतार में श्रीहरि ने पृथ्वी को अपने दांतों पर रख रसातल से बाहर निकाल कर समुद्र के ऊपर स्थापित कर दिया था तथा धर्म की रक्षा हेतु दैत्य हिरण्याक्ष का वध किया था।

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आर्थिक और पारिवारिक मजबूती के लिए वराह जयंती पर पूजा करने से घर में स्थिरता, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है। भगवान वराह के मंदिर में घी का दीप जलाएं, मोगरे की धूप करें, हरिद्रा से तिलक करें, पीले फूल चढ़ाएं, चने-गुड़ का भोग लगाएं। 108 बार इस मंत्र का जाप करें। चना-गुड़ प्रसाद स्वरूप किसी विप्र को बांटे।

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Varaha Jayanti Mantra वराह जयंती मंत्र: ॐ वं वराहाय नम: ॥

व्यावसायिक सफलता हेतु वराह मंदिर में पीले रंग के फल चढ़ाएं।

दुर्भाग्य से मुक्ति हेतु वराह मंदिर में चना दाल दान करें।

दंपति द्वारा विष्णु मंदिर में केसर चढ़ाने से पारिवारिक सुख बढ़ेगा।

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Story of Varaha Jayanti वराह जयंती की कथा
सृष्टि के प्रारंभिक काल में जब हिरण्याक्ष नामक दैत्य ने अपनी तपस्या से वरदान प्राप्त कर लिया, तो वह तीनों लोकों में अत्याचार करने लगा। उसकी सबसे बड़ी दुष्टता यह थी कि उसने पृथ्वी माता (भूमि देवी) को समुद्र की गहराइयों में डुबो दिया, ताकि किसी का जीवन संभव न हो सके।

देवता संकट में पड़े और भगवान विष्णु का ध्यान करने लगे। उसी समय श्रीहरि ने वराह अवतार धारण किया। जो एक अद्भुत स्वरूप, जिसमें उनका ऊपरी भाग सिंह समान तेजस्वी और मुख श्वेत वराह (सूअर) का था। उनका गर्जन सुनकर ब्रह्मांड कांप उठा।

भगवान वराह ने अपने दांतों (दंत) से समुद्र की गहराइयों में जाकर पृथ्वी माता को ऊपर उठाया। हिरण्याक्ष ने उन्हें युद्ध के लिए ललकारा और एक दीर्घकालिक युद्ध के बाद भगवान वराह ने उसे परास्त कर प्राणहीन कर दिया। इस प्रकार पृथ्वी की रक्षा हुई और सृष्टि का संतुलन पुनः स्थापित हुआ।

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