Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Dec, 2025 01:25 PM

Adhik Maas 2026 : अधिक मास जिसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।हिन्दू चन्द्र कैलेंडर में एक अतिरिक्त महीना होता है जो सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच संतुलन बनाये रखने के लिए हर कुछ समय बाद आता है। 17 मई 2026 से 15 जून 2026 तक रहेगा। इस दौरान...
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Adhik Maas 2026 : अधिक मास जिसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।हिन्दू चन्द्र कैलेंडर में एक अतिरिक्त महीना होता है जो सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच संतुलन बनाये रखने के लिए हर कुछ समय बाद आता है। 17 मई 2026 से 15 जून 2026 तक रहेगा। इस दौरान हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास दो बार आता है। एक सामान्य ज्येष्ठ और दूसरा अधिक ज्येष्ठ जिससे साल 12 महीनों की जगह 13 महीनों का हो जाता है। इसे Adhik Maas, Mal Maas या Purushottam Maas कहा जाता है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है और पूजा-पाठ, दान-पुण्य, मंत्र-जप, व्रत, तीर्थ यात्रा आदि के लिए बहुत शुभ माना जाता है। परंपरा के अनुसार, इस मास में शुभ कार्य टालने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य कैलेंडर का संतुलन बनाना है।
भगवान विष्णु का केसर तिलक और विष्णु सहस्रनाम का पाठ
अधिक मास के अधिपति स्वयं भगवान विष्णु हैं। इस महीने में उनकी भक्ति सबसे सरल और प्रभावी मार्ग है। प्रतिदिन स्नान के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। उन्हें पीले पुष्प और केसर मिश्रित चंदन का तिलक लगाएं। यदि आप कठिन समय से गुजर रहे हैं, तो 'विष्णु सहस्रनाम' का पाठ करें। यह पाठ न केवल मन को शांति प्रदान करता है, बल्कि कुंडली के दोषों को भी कम करता है। यदि पाठ करना कठिन लगे, तो इसे श्रद्धापूर्वक सुनना भी उतना ही कल्याणकारी माना गया है। इससे रुके हुए कार्य बनने लगते हैं और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
तुलसी पूजन और दीपदान
तुलसी को भगवान विष्णु की प्रियतमा माना जाता है। अधिक मास में तुलसी की सेवा साक्षात लक्ष्मी की कृपा पाने के समान है। प्रतिदिन शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। तुलसी की 11 या 21 बार परिक्रमा करें और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इस महीने में शाम के समय घर के मुख्य द्वार और मंदिरों में दीप दान करने का भी विधान है। तुलसी पूजन से घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और पारिवारिक कलह दूर होती है। दीप दान से पितृ दोषों की शांति होती है और जीवन के अंधकारमय रास्तों पर नई रोशनी आती है।
पीला दान और गौ-सेवा
पुरुषोत्तम मास में दान का महत्व सर्वोपरि है। इस महीने में पीले रंग की वस्तुओं का दान सबसे श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है। सामर्थ्य अनुसार किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को पीले वस्त्र, चने की दाल, केला, केसरिया चावल या गुड़ का दान करें। इसके साथ ही गौ-सेवा का संकल्प लें। गाय को हरा चारा खिलाएं या गुड़ और रोटी खिलाएं। दान करने से संचित पापों का नाश होता है। विशेषकर गौ-सेवा से 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
सात्विक आहार और व्यवहार का संयम
अधिक मास केवल कर्मकांड तक सीमित नहीं है बल्कि यह आत्म-अनुशासन का समय है। इस महीने में पूर्णतः सात्विक भोजन करें। मांस, मदिरा, तामसिक भोजन और नशीले पदार्थों का त्याग करें। वाणी पर संयम रखें और किसी की बुराई या निंदा न करें। जब शरीर और मन शुद्ध होता है, तो ईश्वर की कृपा जल्दी प्राप्त होती है। संयमित व्यवहार से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है और जीवन में अनुशासन आता है, जो सफलता की पहली सीढ़ी है।
अंक ज्योतिष, वास्तु विशेषज्ञ, ज्योतिषी ऋतिका
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