क्यों नहीं होता पूजा में स्टील के बर्तनों का प्रयोग ?

Edited By Lata,Updated: 12 Sep, 2019 03:56 PM

why is there no use of steel utensils in worship

हिंदू धर्म में पूजा का बहुत महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार ही पूजा करने का विधान बताया गया है।

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हिंदू धर्म में पूजा का बहुत महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार ही पूजा करने का विधान बताया गया है। ऐसे में पूजा करने के लिए कई तरह के बर्तनों का प्रयोग होता है, लेकिन उनका प्रयोग करने को लेकर कई नियम शास्त्रों में बताए गए हैं। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बहुत से लोग पूजा-पाठ के लिए स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि उन्हें प्रयोग करना अशुभ माना गया है। चलिए जानते हैं किन बर्तनों का प्रयोग पूजा में करना शुभ होता है। 
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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पूजा-पाठ में उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग धातु, अलग-अलग फल देती है। सोना, चांदी, पीतल, तांबे की बर्तनों का उपयोग शुभ माना गया है जबकि स्टील, लोहा और एल्युमिनियम के बर्तन अशुभ होते हैं। यही नहीं इन धातुओं की मूर्तियां भी पूजा के लिए शुभ नहीं मानी गई हैं। इसके पीछे सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि पूजा-पाठ के लिए प्राकृतिक धातुएं शुभ होती हैं। यही कारण है कि स्टील के बर्तन से पूजा-पाठ करने से मना किया जाता है क्योंकि स्टील मानव निर्मित धातु है। जबकि लोहा में जंग लग जाता है और एल्युमिनियम से कालिख निकलती है। यही कारण है कि इन बर्तनों के प्रयोग से हमारी त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है और मूर्तियां भी खराब होती हैं।
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पूजा-पाठ में सोने, चांदी, पीतल, तांबे के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए। माना जाता है कि ये सब धातुएं केवल जलाभिषेक से ही शुद्ध हो जाती हैं। 

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