INTERVIEW: हिंदी सिनेमा में ज्यादा रोमांस और हीरो के सिक्स पैक होना भी जरूरी है'- श्रीनिवास बेलमकोंडा

Edited By Varsha Yadav,Updated: 13 May, 2023 05:28 PM

sai sreenivas bellamkonda interview for chatrapathi

फिल्म की प्रोमोशन के लिए पहुंचे श्रीनिवास बेलमकोंडा और नुसरत भरूचा ने पंजाब केसरी ग्रुप से खास बातचीत की है

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। एक्शन फिल्म पसंद करने वाले दर्शकों के लिए 'छत्रपति' किसी ट्रीट से कम नहीं है। फिल्म में एक्शन के साथ भरपूर ड्रामा भी देखने को मिलेगा। वी.वी. विनायक के निर्देशन में बनी फिल्म के जरिए तेलुगू सुपरस्टार श्रीनिवास बेलमकोंडा बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रहे हैं, जो 12 मई को रिलीज हो गई है। 'छत्रपति' साल 2005 में इसी नाम से आई प्रभास की फिल्म का हिंदी रीमेक है। फिल्म में श्रीनिवास के अलावा नुसरत भरूचा, शरद केलकर और भाग्यश्री मुख्य किरदार में हैं। ऐसे में 'छत्रपति' का प्रमोशन जोरों-शोरों से जारी है। इस बारे में एक्टर श्रीनिवास बेलमकोंडा और नुसरत भरूचा ने पंजाब केसरी/ नवोदय टाइम्स/ जगबाणी/हिंद समाचार से खास बातचीत की।

(श्रीनिवास बेलमकोंडा)


सवाल- इस फिल्म से आप बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रहे हैं तो कैसा फील कर रहे हैं?
जवाब-
थोड़ा नर्वसनेस है, क्योंकि जब आप अपनी भाषा के अलावा किसी दूसरी भाषा में पहली बार काम कर रहे हैं तो यह होना लाजमी है। मेरा कंफर्टेबल जोन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना है, जिससे ये बिल्कुल अलग है। वहां मैं अपनी भाषा में फिल्म करता हूं, प्रमोट करता हूं लेकिन ये एक्सपीरियंस भी काफी बढ़िया है। फिल्म की शूटिंग के दौरान हमने काफी मस्ती की।

सवाल- हिंदी फिल्मों को लेकर आपका क्या नजरिया है?
जवाब-
जैसे साऊथ की फिल्मों में जबरदस्त एक्शन देखने को मिलता है, वैसे ही हिंदी सिनेमा में रोमांस थोड़ा ज्यादा होता है। जैसे बर्फीले मौसम में खड़े होकर रोमांस करना। इसके साथ हीरो के सिक्स पैक होना बहुत जरूरी माना जाता है। तभी वह विलेन को खत्म करने में कामयाबी हासिल कर सकता है, लेकिन हमारे यहां एक्शन पर ज्यादा फोकस किया जाता है, क्योंकि ऑडियंस को वही ज्यादा पसंद होता है।

सवाल- एक्शन के अलावा कौन से जॉनर की फिल्में करना पसंद करते हैं?
जवाब- 
मुझे थ्रिलर जॉनर बेहद पसंद है। आगे मैं कोई ऐसी ही फिल्म करना चाहूंगा। वहीं 'छत्रपति' फिल्म के लिए हमारी पूरी टीम ने काफी मेहनत की है। उम्मीद है दर्शकों को यह अच्छी लगेगी।  

सवाल- शूटिंग के दौरान आपको हिंदी बोलने में कोई दिक्कत हुई?
जवाब-
नहीं, मुझे हिंदी भी अच्छे से आती है तो कोई खास परेशानी नहीं हुई। बस थोड़ा बोलने का तरीका, डायलॉग्स में रुकना और उतार-चढ़ाव में दिक्कत हुई थी। उसके लिए मैंने काफी प्रैक्टिस की तो वो भी ठीक हो गया।


(नुसरत भरूचा)


सवाल- इस फिल्म को हां कहने का क्या कारण रहा?
जवाब-
इसकी मुख्य वजह श्रीनिवास के पापा सुरेश बेलमकोंडा हैं। सर, मुंबई आए और मुझसे बात की कि आपको ये फिल्म करनी है। मैं श्री को जानती तक नहीं थी और फिल्म के बारे में भी कुछ पता नहीं था, लेकिन इनके पिताजी इस बात पर अड़ गए थे कि आपको ही ये फिल्म करनी है। जिस इमोशन और हक के साथ ये बात कही कि मेरे दिल को छू गई। फिर मैंने कहा कि ठीक है, मैं करूंगी। कुछ लोग होते हैं न जिनसे जल्दी कनैक्ट फील करने लगते हैं। ऐसे ही मैं उनसे जुड़ गई।    

सवाल- पूरी फिल्म के दौरान आपको कहीं भी ऐसा लगा कि यहां ओवर एक्शन हो गया?
जवाब-
जब साऊथ की फिल्में देखती थी तो सोचती थी कि ये कैसे हो रहा है। कुछ तो कर रहे हैं ये लोग, ये रीयल नहीं हो सकता। बताओ एक गोली से छह इंसान मर सकते हैं, ये थोड़ा ज्यादा हो गया। जब फिल्म में ये चीजें होते हुए देखी तो पता चला कि टेक्निकल टीम के साथ एक्शन सीक्वेंस असल में किए जाते हैं। तभी तो एक्शन को साऊथ की फिल्मों की जान कहा जाता है।  

सवाल- आपने अलग-अलग रोल किए हैं, ऐसे में कोई ऐसी चीज जिससे सबसे ज्यादा डर लगता है?
जवाब-
जब कोई भी फिल्म करती हूं तो किरदार से नहीं बल्कि मुझे भूलने से सबसे ज्यादा डर लगता है। हर एक्टर के करियर में राइज आता है फिर पता नहीं चलता कि वो कहां गायब हो गया। मैं नहीं चाहती कि मेरे साथ भी ऐसा हो। फिल्मों के जरिए ऐसा करें कि लोग आपको याद रखें, काम की सराहना करें।

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