अफगानिस्तान में इंटरनेट ब्लैकआउट से भूकंप राहत कार्यों में बाधा, उड़ानें और संचार व्यवस्थाएं ठप्प, तालिबान बोले-ये झूठ है

Edited By Updated: 01 Oct, 2025 04:18 PM

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अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने इंटरनेट और फाइबर-ऑप्टिक सेवाओं को बंद कर दिया है। आधिकारिक कारण “अनैतिक गतिविधियों” रोकना और पुरानी फाइबर केबलों की मरम्मत बताया जा रहा है। लेकिन हकीकत में इसका असर भूकंप राहत, स्वास्थ्य सेवाओं, बैंकिंग और संचार पर...

International Desk: संयुक्त राष्ट्र (UN) ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में जारी इंटरनेट ब्लैकआउट से भूकंप राहत कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। अगस्त में आए घातक भूकंप के बाद पहाड़ी इलाकों में बसे लोग अब भी बेसहारा हैं, लेकिन राहत टीमों का मुख्यालय से संपर्क टूट जाने के कारण मदद पहुंचाना लगभग असंभव हो गया है।उधर, तालिबान सरकार ने कुछ रिपोर्टों का खंडन किया है और कहा है कि यह पूर्ण इंटरनेट प्रतिबंध नहीं है, बल्कि “पुरानी फाइबर” को बदलने का काम चल रहा है। प्रतिबंध की अवधि, विस्तार और तकनीकी कार्यान्वयन के बारे में स्पष्ट जानकारी अभी नहीं आई है।

 

स्वास्थ्य, बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं ठप्प
यूएन के मानवीय समन्वयक इंद्रिका रतवट्टे ने कहा कि टेलीफोन और फाइबर-ऑप्टिक सेवाएं "अगले आदेश तक" बंद कर दी गई हैं। इसके चलते न केवल स्वास्थ्य सेवाएं और दवा आपूर्ति प्रभावित हुई हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मनी ट्रांसफर और स्थानीय बैंकिंग लेन-देन भी रुक गए हैं। इससे पहले से नाजुक हालात झेल रहे अफगान नागरिक और गहरी आर्थिक मुश्किलों में फंसते जा रहे हैं।

 

उड़ानें और संचार व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित
सोमवार को इंटरनेट ठप होने के बाद अफगानिस्तान के लिए उड़ानें भी रद्द करनी पड़ीं। दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफगान यात्रियों की भीड़ जमा हो गई, जहां लोग अनिश्चितता और बेचैनी में फंसे रहे। इस स्थिति ने व्यापार, परिवहन और रोजमर्रा के कामकाज को और कठिन बना दिया है।

 

परिवारों से संपर्क टूटा, अंतरराष्ट्रीय चिंता गहराई
अफगानिस्तान से बाहर रह रहे लोग अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, जिससे चिंता और बढ़ गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि संचार तंत्र का ठप होना न केवल राहत और व्यापार को प्रभावित करता है बल्कि सामाजिक ताने-बाने और घरेलू जीवन पर भी गहरा असर डालता है। संयुक्त राष्ट्र ने तत्काल संचार बहाली की मांग की है और चेतावनी दी है कि इंटरनेट बंदी अगर लंबे समय तक जारी रही तो यह न केवल भूकंप राहत कार्य बल्कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और समाज दोनों को भारी नुकसान पहुंचाएगी।

 

इंटरनेट ब्लैकआउट के मुख्य कारण 
तालिबान सरकार ने फाइबर-ऑप्टिक इंटरनेट और वाई-फाई सेवाओं को “अनैतिक गतिविधियों” (immorality) को रोकने के लिए बंद करने का आदेश दिया है। इस प्रतिबंध का लक्ष्य सरकार के अनुसार ऑनलाइन सामग्री को नियंत्रित करना है। इंटरनेट ट्रैफिक निगरानी समूहों ने बताया है कि फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क कनेक्शन कई प्रांतों में काट दिए गए या निष्क्रिय कर दिए गए हैं, और यह ब्लैकआउट की शुरुआत का हिस्सा था। कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि पुरानी फाइबर केबलें  सड़ गई  थीं और उन्हें बदलने या मरम्मत करने की बात सामने आई है।इंटरनेट ब्लैकआउट के साथ-साथ टेलीफोन और मोबाइल नेटवर्क पर भी असर पड़ा है।

 

इसका मतलब है कि सिर्फ वाई-फाई बंद होना नहीं, बल्कि संचार के अधिकांश माध्यम बंद हो गए। पहले कुछ प्रांतों में फाइबर नेटवर्क ही बंद करना शुरू किया गया था, बाद में यह राष्ट्रव्यापी ब्लैकआउट में बदल गया। उदाहरण स्वरूप, बालख (Balkh) प्रांत में पहले वाई-फाई सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया था। सरकार ने सार्वजनिक कार्यालयों को इंटरनेट सेवाओं का उपयोग बंद करने का निर्देश दिया है। तालिबान नेतृत्व ने फाइबर नेटवर्क को बंद करने को अंतिम आदेश बताया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह तंत्र एक सरकारी नीति की तर्ज पर लागू हो रहा है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम केवल धार्मिक या आस्थागत कारणों से नहीं, बल्कि शासन नियंत्रण और सूचना प्रवाह पर नियंत्रण रखने की रणनीति भी हो सकती है।

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