चीन के राष्ट्रपति अपनी ताकत बढ़ाने के लिए तोड़ सकते हैं परंपरा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Oct, 2017 12:09 PM

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चीन के राष्ट्रपति शी​ जिनपिंग (64) बुधवार को पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के सात सदस्यों के नामों की घोषणा करेंगे जो देश के सबसे ज़्यादा ताकतवर नेता होते हैं...

बीजिंगः चीन के राष्ट्रपति शी​ जिनपिंग (64) बुधवार को पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के सात सदस्यों के नामों की घोषणा करेंगे जो देश के सबसे ज़्यादा ताकतवर नेता होते हैं। अगले 5 साल के लिए  इन नोेताओ का कार्यकाल तय किया जाएगा। पिछले कुछ दशकों में चीनी नेता अपने एक या एक से ज़्यादा उत्तराधिकारी को चुनते आए हैं।लेकिन, इस बार अटकलें हैं कि अपनी ताकत बढ़ाने के लिए  शी जिनपिंग इस परंपरा को तोड़ सकते हैं। 

कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस (सीपीसी) के ख़त्म होने के बाद स्टैंडिंग कमेटी और 25 सदस्यीय पोलित ब्यूरो की घोषणा की जाती है। सीपीसी शक्तिशाली सेंट्रल कमेटी का चुनाव करती है. सेंट्रल कमेटी में क़रीब 200 सदस्य होते हैं जो साल में दो बार मिलते हैं। पार्टी ने मंगलवार को शी जिनपिंग के 5 साल के दूसरे कार्यकाल को मंज़ूरी दी थी और उनकी विचारधारा को संविधान में जगह दी थी। इसमें शी को चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता और संस्थापक माओत्से तुंग के बराबर दर्जा दिया गया है।
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शी जिनपिंग की विचारधारा को सर्वसम्मति से संविधान में शामिल होने से उनकी देश पर पकड़ और मज़बूत हो गई है। अब किसी के लिए उन्हें चुनौती देना आसान नहीं होगा। साल 2012 में चीन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद शी जिनपिंग अब फिर से अगले पांच साल तक इसी पद पर बने रहेंगे। चीनी नेता सिर्फ 10 साल तक अपनी सेवाएं देते हैं, लेकिन जिनपिंग पार्टी चीफ़ और सेना अध्यक्ष के तौर पर बने रह सकते हैं। 

गौरतलब है कि स्टैंडिंग कमेटी के सात में से 5  सदस्य सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इनमें सिर्फ़ शी जिनपिंग और प्रीमियर ली कचियांग ही आगे सदस्य बने रहेंगे। चोंगकिंग प्रांत के कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख 57 साल के चैन माइनर और गुआंग्तोंग प्रांत के पार्टी के प्रमुख 54 साल के हु चन्ह्वा दोनों उत्तराधिकारी बनने के लिए काफ़ी युवा हैं, लेकिन उन्हें शामिल ही नहीं किया गया। 

पोलित ब्यूरो सदस्य सन जेनकई को भी एक संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था जिन्हें स्टैंडिंग कमेटी के लिए चुना जाना अपेक्षित था लेकिन, वह पार्टी नियमों के उल्लंघन के मामले में जांच के दायरे में हें। शी जिनपिंग साल 2012 में सत्ता में आने के बाद से कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान भी चलाया था जिसके चलते लाखों अधिकारी अनुशासित हो गए थे। 

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