नई रिसर्च का दावा: हार्ट अटैक के बाद दी जाने वाली दवा Beta Blockers महिलाओं के लिए खतरनाक!

Edited By Updated: 01 Sep, 2025 06:08 AM

common medicine given after heart attack is dangerous for women

पिछले 40 सालों से हार्ट अटैक के बाद दी जाने वाली एक आम दवा बीटा-ब्लॉकर (Beta Blockers)  को लेकर नई रिसर्च में चौंकाने वाला दावा किया गया है। स्टडी के मुताबिक, यह दवा कुछ मरीजों को कोई फायदा नहीं देती और कुछ महिलाओं में यह मौत, दोबारा हार्ट अटैक या...

न्यूयॉर्क/मैड्रिड: पिछले 40 सालों से हार्ट अटैक के बाद दी जाने वाली एक आम दवा बीटा-ब्लॉकर (Beta Blockers) को लेकर नई रिसर्च में चौंकाने वाला दावा किया गया है। स्टडी के मुताबिक, यह दवा कुछ मरीजों को कोई फायदा नहीं देती और कुछ महिलाओं में यह मौत, दोबारा हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर से अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बढ़ा सकती है।

क्या कहती है रिसर्च?

स्टडी से जुड़े प्रमुख आंकड़े:

  • 8,505 मरीज शामिल किए गए – स्पेन और इटली के 109 अस्पतालों में।

  • मरीजों को दो समूहों में बांटा गया:

    1. जिन्हें बीटा-ब्लॉकर दी गई

    2. जिन्हें बीटा-ब्लॉकर नहीं दी गई

  • दोनों समूहों को बाकी सभी स्टैंडर्ड इलाज (जैसे ब्लड थिनर, स्टेंट आदि) समान रूप से दिए गए।

  • मरीजों की लगभग 4 साल तक निगरानी की गई।

 नतीजे क्या निकले?

  • कुल मिलाकर दोनों समूहों में कोई बड़ा फर्क नहीं पाया गया — मौत, दोबारा हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर की दरों में।

  • लेकिन महिलाओं में अलग परिणाम सामने आया:

    • बीटा-ब्लॉकर लेने वाली महिलाओं में 2.7% ज्यादा मौत का खतरा देखा गया।

    • इन महिलाओं में अस्पताल में भर्ती होने और दोबारा अटैक का खतरा भी अधिक था।

बीटा-ब्लॉकर के संभावित साइड इफेक्ट्स:

  • थकान महसूस होना (Fatigue)

  • दिल की धड़कन धीमी होना (Bradycardia)

  • यौन दुर्बलता (Sexual Dysfunction)

  • मूड में बदलाव

 महिलाओं पर असर क्यों अलग होता है?

  • महिलाओं की दिल की संरचना पुरुषों से अलग होती है।

  • वे ब्लड प्रेशर की दवाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।

  • महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण भी अलग होते हैं – जैसे पीठ दर्द, सांस फूलना, या अपच की शिकायत, जबकि पुरुषों में आमतौर पर सीने में तेज दर्द होता है।

किसे अभी भी बीटा-ब्लॉकर की जरूरत है?

रिसर्च में शामिल सभी मरीजों की दिल की पंप करने की क्षमता (ejection fraction) 40% से ज्यादा थी, यानी उनका दिल अच्छी तरह काम कर रहा था। लेकिन जिन मरीजों की ejection fraction 40% से कम है — उन्हें अब भी बीटा-ब्लॉकर फायदेमंद साबित हो सकती है।

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