ताईवान ने चीन का जहाज कब्जे में लिया

Edited By Anil dev,Updated: 25 Aug, 2021 07:22 PM

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चीन एक ऐसा देश है जिसे पूरी तरह विस्तारवाद के लिये जाना जाता है, चीन को विस्तारवाद से इतना प्रेम है कि चीन का अपने निकट पड़ोसी देशों जिनमें भारत, रूस और जापान तो शामिल हैं ही, टूर दराज़ स्थित देश जिनमें फिलीपींस, ब्रुनेई, वियतनाम, मलेशिया भी शामिल...

इंटरनेशनल डेस्क: चीन एक ऐसा देश है जिसे पूरी तरह विस्तारवाद के लिये जाना जाता है, चीन को विस्तारवाद से इतना प्रेम है कि चीन का अपने निकट पड़ोसी देशों जिनमें भारत, रूस और जापान तो शामिल हैं ही, टूर दराज़ स्थित देश जिनमें फिलीपींस, ब्रुनेई, वियतनाम, मलेशिया भी शामिल हैं। कोविड महामारी का प्रकोप इस समय भी कई देशों पर कहर बन कर ट्ट रहा है ऐसे में सारे देश अपनी सीमाओं के भीतर महामारी पर काबू पाने की जुगत में लगे हैं लेकिन चीन है कि वो खुले तौर पर अपनी सीमाओं के विस्तार में जुटा है। इसी वजह से चीन के विवाद बढ़ रहे हैं। चीन अपने सभी पड़ोसी देशों पर कब्जा कर उनपर अपना आधिपत्य जमाना चाहता है जिसकी चाहत में वो उनके क्षेत्रों का लगातार घुसपैठ करता है। चीन ने ऐसा ही भारत के साथ किया था, गलवान घाटी में जब भारतीय सैनिकों पर चीन ने धोखे से हमला किया था तो भारत ने ऐसा करारा पलटवार किया कि चीन भारत के साथ बातचीत करने को मजबूर हुआ और उसे अपना घुसपैठ अभियान रोकना पड़ा। बाद में लद्दाख में डिसइंगेजमेंट हुआ जिसे पूरी दुनिया ने देखा। 

अभी भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान में सत्ता का उलटफेर जारी है, तालिबान ने राजधानी काबुल सहित पूरे देश पर अपना कब्जा जमा लिया और ऐसे में अफ़गान राष्ट्रपति अब्दुल गनी को देश छोड़कर भागना पड़ा, अपने संक्रमण काल से गुज़र रहे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा देख दुनिया में सिर्फ दो देश हैं जो इस समय बहुत खुश हैं, पहला चीन और दूसरा पाकिस्तान। इन दोनों देशों की हमदर्दी तालिबान के साथ है, चीन तो इसमें अपना आर्थिक लाभ देख रहा है लेकिन पाकिस्तान इसे सिर्फ अपनी धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहा है। तालिबान को मान्यता देने के लिये भी सबसे पहले यही दोनों देश सामने निकल कर आए हैं। चीन आदतन अपने एक पड़ोसी देश की सीमा में प्रवेश कर गया इस मुगालते में कि इसके बाद उस देश की ज़मीन के कुछ हिस्से पर चीन अपना दावा ठोंक सकेगा और धीरे धीरे उसपर पूरा कब्जा कर लेगा लेकिन उल्टे बांस बरेली की तर्ज पर चीन को इस बार लेने के देने पड़ गए। दरअसल चीन ने जिस जहाज का इस्तेमाल किया अपने पड़ोसी देश की सीमा में घुसने का उस देश ने उल्टे चीन के जहाज को ही अपना बंधक बना लिया। ये देश और कोई नहीं बल्कि चीन के पूर्वी समुद्री सीमा पर बसा ताईवान है, जिसके फेंगू द्वीप से होते हुए चीन का एक तेल कंटेनर जहाज गुजर रहा था, चीन ताईवान को अपने देश का हिस्सा मानता है इसलिये ये सारी दिक्कत पैदा हो रही है। 

फेंगू द्वीप ताईवान के जलक्षेत्र में आता है जिसे चीन हमेशा नकारता आया है और चीन कभी इसे ताईवान का क्षेत्र नहीं मानता। इस बार ताईवान के कोस्ट गार्ड्स ने इस चीनी तेल कंटेनर जहाज़ जिसका नाम ख़शिंग 566 है को अपने कब्जे में ले लिया। इससे पहले ताईवान के कोस्ट गार्डस ने रेडियो सिग्नल पर कई बार चीनी जहाज को चेतावनी दी लेकिन वो फिर भी इस क्षेत्र में घुसता चला गया, इसलिये ताईवान ने इस चीनी जहाज को अपने कब्ज़े में ले लिया। तलाशी के दौरान इस जहाज से न तो तेल मिला, न मछलियां, न बीफ और न ही पोर्क यानी माल हुलाई वाला ये जहाज एकदम खाली था। इस जहाज के कैप्टन त्साई और 6 अन्य क्रू सदस्यों को हिरासत में ले लिया है। अब इन सबके ऊपर ताईवान के कानून के तहत मुकदमा चलेगा। चीन ताईवान के साथ अक्सर ऐसी हरकतें करता रहता है, अभी पिछले महीने ताईवान की एक पेट्रोलिंग करने वाली नौका ने आओनानाओ ३123 नाम के चीनी जहाज को फेंगू द्वीप समूह के हुआयू द्वीप से मात्र 38 किलोमीटर पश्चिम की दूरी पर देखा था। 

ताईवान के कोस्ट गार्ड्स ने जब इस चीनी नौका से जांच और तलाशी के लिये रुकने को कहा तो चीनी नौका से चाकू और लोहे के सरियों से हमले की धमकी दी गई लेकिन ताईवान कोस्टगार्डस ने बंदूकों के सहारे चीनी नाव को घेरकर जब तलाशी शुरु की तब वहां से 760 किलोग्राम मछलियों की खेप निकली जो इन्होंने ताईवानी क्षेत्र से पकड़ी थीं। इन मछलियों को ताईवान के अधिकारियों ने वापस समुद्र में छोड़ दिया। ताईवान के सुरक्षा गार्डस ने बताया कि इस वर्ष अभी तक उन्होंने 8 चीनी नौकाओं के अवैध आवागमन को पकड़ा है और चीन पर 3 लाख 84 हज़ार अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया है। अब सवाल ये उठता है कि ताईवान में आखिर इतनी हिम्मत कहां से आई कि उसने चीन का जहाज अपने कब्ज़े में ले लिया है, दरअसल अमेरिका और जापान ताईवान को खुला समर्थन कर रहे हैं जिसके कारण ताईवान का हौसला बढ़ा है वहीं चीन अमेरिका के खिलाफ तो कुछ कर नहीं सकता लेकिन वो जापान से इतना चिढ़ा बैठा है कि चीन ने जापान के लिये ये तक कह डाला कि वो जापान पर परमाणु हमला भी कर सकता है। ताईवान को लेकर इस तरह का समर्थन एक तरफ ताईवान की हिम्मत बढ़ा रहा है तो दूसरी तरफ़ चीन की दादागिरी पर अंकुश भी लगाने का काम कर रहा है। अगर चीन अपनी विस्तारवाद की नीतियों से बाज न आया तो आने वाले दिन दक्षिणी चीन सागर और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कलह का कारण जरूर बनेंगे।

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