Edited By Anil dev,Updated: 02 Jul, 2022 12:02 PM
आजकल यूरोप के पेड़ों में इंसानों के कान लटकते नजर आ रहे हैं। इंसानों के कान जैसी दिखने वाली यह अजीब सी चीज असल में किसी इंसान का कान नहीं है। ध्यान से देखा जाए तो कान जैसी दिखने वाली इस चीज के पीछे आपको पेड़ों की छाल दिखाई देगी।
इंटरनेशनल डेस्क: आजकल यूरोप के पेड़ों में इंसानों के कान लटकते नजर आ रहे हैं। इंसानों के कान जैसी दिखने वाली यह अजीब सी चीज असल में किसी इंसान का कान नहीं है। ध्यान से देखा जाए तो कान जैसी दिखने वाली इस चीज के पीछे आपको पेड़ों की छाल दिखाई देगी। पेड़ों से लटकने वाले इस इंसानी कान का उपयोग 19वीं और 20वीं सदी में इलाज के लिए भी किया जाने लगा था। दरअसल, यह एक फंगस है, जो यूरोप के पेड़ों पर उगती है। कुछ लोग इसे इंसानी कान वाला मशरूम कहते हैं। वहीं वैज्ञानिक नाम की बात करें तो इसे ऑरिक्यूलेरिया ऑरिकुला-जुडे के नाम से जाना जाता है। वहीं आमतौर पर इसे जेली ईयर नाम से भी पुकारते हैं।
इन जेली ईयर को 19वीं सदी में कुछ बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता था, जिसमें गले में खराश, आंखों में दर्द और पीलिया जैसी बीमारियां शामिल हैं। इंडोनेशिया में 1930 के दशक में इससे इलाज की शुरूआत की गई थी। यह फंगस पूरे साल यूरोप में पाया जाता है।
ये आमतौर पर चौड़ी पत्ती वाले पेड़ों या झाडिय़ों की लकड़ी पर उगते हैं लेकिन इसकी खेती सबसे पहले चीन और पूर्वी एशिया के देशों में की गई, जहां से यह यूरोप पहुंच गई। खास बात तो यह है कि यह फंगस किसी भी मौसम के हिसाब से खुद को बदल सकती है। 19वीं सदी में पोलैंड में लोग इसे खाते थे। हालांकि यह जेली ईयर कच्ची खाने लायक नहीं होती। इसे अच्छी तरह पकाना पड़ता है।