Edited By Tanuja,Updated: 07 Sep, 2025 07:22 PM

लेबनान की सरकार और सेना ने हाल ही में एक अहम बैठक की, जिसमें प्रस्ताव रखा गया कि देश में हथियार रखने और इस्तेमाल करने का अधिकार सिर्फ सेना और सरकार के पास होगा...
International Desk: लेबनान की सरकार और सेना ने हाल ही में एक अहम बैठक की, जिसमें प्रस्ताव रखा गया कि देश में हथियार रखने और इस्तेमाल करने का अधिकार सिर्फ सेना और सरकार के पास होगा। यानी किसी भी राजनीतिक या उग्रवादी संगठन, जैसे हिजबुल्लाह, को अब हथियार रखने की इजाज़त नहीं होगी।
लेबनान के शिया राजनीतिक और सशस्त्र संगठन हिजबुल्लाह ने पहले इस फैसले को “अस्तित्वहीन और पाप” कहकर खारिज कर दिया था। लेकिन अब संगठन का रुख कुछ बदला हुआ दिख रहा है। हिजबुल्लाह नेता महमूद कमती ने कहा कि इस बैठक को वह “समझदारी और तर्क पर लौटने का मौका” मानते हैं। उनका इशारा साफ है-अभी वे सीधा टकराव नहीं चाहते। हिजबुल्लाह पर लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय दबाव है कि वह हथियार छोड़ दे।
ईरान समर्थित यह संगठन पिछले साल इज़राइल के साथ हुई जंग में कमजोर पड़ा था, लेकिन तब भी उसने हथियारों का जखीरा सौंपने से इनकार कर दिया। अब इस नरमी भरे बयान को उसकी मजबूरी और रणनीतिक पीछे हटने के तौर पर देखा जा रहा है।यहीं असली चुनौती है। लेबनान की सेना खुद मान चुकी है कि उसके पास सीमित संसाधन और ताकत है। ऊपर से इज़राइल की लगातार सैन्य कार्रवाई माहौल को और तनावपूर्ण बना रही है। ऐसे में सरकार का यह प्लान तुरंत लागू होना मुश्किल है। फिलहाल इसे भविष्य की दिशा दिखाने वाला कदम माना जा रहा है, न कि तात्कालिक समाधान।